tag:blogger.com,1999:blog-4974949269423426683.post8360279915199855117..comments2023-11-02T21:27:00.700+05:30Comments on दिल एक पुराना सा म्यूज़ियम है...: कष्ट में हम हिंदू भी हैंroushanhttp://www.blogger.com/profile/18259460415716394368noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-4974949269423426683.post-3158930204973765812008-11-17T13:33:00.000+05:302008-11-17T13:33:00.000+05:30अफसोस तो इसी बात है कि वे बोलते नहीं।अफसोस तो इसी बात है कि वे बोलते नहीं।adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4974949269423426683.post-41964007767945134002008-11-17T12:31:00.000+05:302008-11-17T12:31:00.000+05:30निशा, तुमने अपने गाँव की याद दिला दी. मैं चेन्नई म...निशा, <BR/><BR/>तुमने अपने गाँव की याद दिला दी. मैं चेन्नई में पाँच सालों से हूँ, यहाँ काफ़ी बड़े बड़े मंदिर हैं. लेकिन जैसा कि मुझे याद है, शायद इन पाँच सालों में मुश्किल से मैं पाँच बार मंदिर गयी हूँ, घर में ही पूजा कर लेती हूँ. सच कहूँ तो इन मंदिरों में जाने में वो श्रधा नही आती है जो अपने गाँव के छोटे से मंदिर में जाने से आता है, ना ही वो शांति का अनुभव होता है. और अब अपने देश के लोगों ने इस मंदिर और मस्जिद के नाम पर लोगों को आपस में लड़ा रहे हैं. हमारा धर्म तो ये कभी नही सिखाया, लेकिन आज धर्म के नाम पर खून ख़राबा कर रहे हैं. अब इन हवाओं की रूख़ भी बदलने लगी हैं.रेवा स्मृति (Rewa)https://www.blogger.com/profile/13005191329618003468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4974949269423426683.post-17922098103332763742008-11-16T17:40:00.000+05:302008-11-16T17:40:00.000+05:30मुझे भी ऐसा ही लगता है । कितनी बुनियादी बात है (fu...मुझे भी ऐसा ही लगता है । कितनी बुनियादी बात है (fundamentalist से उलटी)!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4974949269423426683.post-57659412549466320132008-11-16T06:42:00.000+05:302008-11-16T06:42:00.000+05:30बहुत बढ़िया.. बहुत सहज!बहुत बढ़िया.. बहुत सहज!अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4974949269423426683.post-3662175665290379232008-11-15T19:13:00.000+05:302008-11-15T19:13:00.000+05:30satya vachan sirjee.satya vachan sirjee.Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4974949269423426683.post-47156532085262455462008-11-15T15:04:00.000+05:302008-11-15T15:04:00.000+05:30आपके सवाल का जवाब हनुमान जी नहीं देंगे, आप को ख़ुद...आपके सवाल का जवाब हनुमान जी नहीं देंगे, आप को ख़ुद खोजना है इस का जवाब. <BR/><BR/>कुछ लोगों ने थोड़ा सा धर्म मन्दिर से निकाला और बाजार में रख दिया. दूकान चल निकली. अब हर आदमी धर्म की दूकान खोल रहा है. कम्पटीशन थोड़ा उग्र हो रहा है.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10037139497461799634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4974949269423426683.post-1684288874509320332008-11-15T14:45:00.000+05:302008-11-15T14:45:00.000+05:30गौर से देखिए इन मूर्तियों को. किसने बनाया. हमने. ब...गौर से देखिए इन मूर्तियों को. किसने बनाया. हमने. बड़ा कौन? हम हुए ना? हमें अपने अंदर ही सब कुछ पाना है. आभार.<BR/>http://mallar.wordpress.comP.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4974949269423426683.post-31560507759584072802008-11-15T13:34:00.000+05:302008-11-15T13:34:00.000+05:30दिल को छू लेने वाली और दिल से लिखी गई बात.हमारे दे...दिल को छू लेने वाली और दिल से लिखी गई बात.<BR/>हमारे देश में धर्म विकेंद्रीकृत रहा है और हर गाँव के अपने देवी देवता होते रहे हैं, अपनी मान्यताएं रहीं हैं जब लोग अपनी जड़ो से कट जाते हैं तो वो उस महान परम्परा का हिस्सा बनने लग जाते हैं जिसकी जिद ही है सार्वभौमिकीकरण के जरिये एकाधिकार स्थापित करना बाजार की ये प्रवृत्तियां धर्म में भी घुस पड़ी हैं और विकेंद्रीकृत चरित्र वाले हिन्दुस्तान का बंटवारा करने पर आमादा हैं.roushanhttps://www.blogger.com/profile/18259460415716394368noreply@blogger.com