


मुंबई में जारी आतंकी हमले ने हम सभी देशवासियों को सकते में डाल दिया है। यह हमला संसद पर आतंकी हमले से एक कदम आगे जाता हुआ लगता है। ये हमला बताता है कि हम अंदरूनी झगडों में अपने देश की सुरक्षा भूल जा रहे हैं।
ऐसा बताया जा रहा है कि कोई छः मोटर बोटों में छब्बीस के करीब आतंकी करांची से मुंबई समुद्र के रस्ते दाखिल हुए। अगर ऐसा है तो न जाने कितने विदेशी समुद्र के रास्ते दाखिल होते होंगे और आगे भी होते रहेंगे। शायद समुद्री चौकसी को और अधिक सघन बनाना जरूरी होगा।
अभी तक मिली जानकारी के अनुसार छः विदेशियों सहित कोई 101 लोग मारे गएँ हैं जिसमे दो अमरीकी खुफिया अधिकारी भी शामिल हैं। नौ आतंकी पकड़े गए हैं जबकि चार मारे गए हैं ऐसा माना जाता है कि अभी तेरह आतंकी कुल तीन जगहों, होटल ताज और ओबेराय और छाबडा हॉउस में हैं और वहां सेना, एन एस जी और मुंबई पुलिस की कार्यवाही जारी है। ऐसा सुनने में आया है कि आतंकी होटलों में ब्रिटिश और अमरीकी पासपोर्ट धारकों को विशेष रूप से निशाना बना रहे थे इससे जाहिर होता है कि न सिर्फ़ इस घटना के तार अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से जुड़े हैं बल्कि भारत की छवि पर भी आतंकी निशाना साध रहे थे।
अभी तक नौ पुलिस कर्मी शहीद हुए हैं जिसमे एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अशोक काम्टे, मुंबई पुलिस के एनकाउंटर विशेषज्ञ विजय सालस्कर और आईपीएस सदानंद दांते शामिल हैं। पुलिस के शीर्ष अधिकारियों ने जिस प्रकार मोर्चे पर आगे रहकर कुर्बानी दी है उसे देश याद रखेगा।
विपक्ष ने राजनैतिक विरोधों को दरकिनार करते हुए प्रधानमन्त्री को सहयोग का आश्वासन दिया है प्रधान मंत्री और विपक्ष के नेता साथ साथ मुंबई दौरे पर जाने की तैयारी में हैं।
पकिस्तान के विदेशमंत्री जो भारत के दौरे पर हैं, ने कहा है कि भारत और पकिस्तान की खुफिया एजेंसियों को हॉट लाइन के जरिये संपर्क में रहना चाहिए। उनका मानना है कि दोनों साझा दुश्मन के निशाने पर हैं। वैसे 19 सितम्बर के मैरिएट होटल और मुंबई के ताजा हमलों में पैटर्न की समानता देखी जा सकती है। आतंकी हमलों की जिम्मेदारी लेने वाले दक्कन मुजाहिदीन के पाकिस्तानी बेस के होने की बात पहले से ही जाहिर है। ऐसे में अगर पकिस्तान वास्तव में गंभीर है तो उसे भारतीय जांच एजेंसियों को पकिस्तान में जांच में सहयोग देना होगा। इस मुद्दे पर पकिस्तान की प्रतिक्रिया उसकी सही मंशा बता सकेगी।
इस बीच इस हमले के लिए केन्द्र और राज्य सरकार को जवाब देना चाहिए कि तमाम हाई एलर्ट और एन एस ए के साफ़ बयान के बावजूद इतनी बड़ी घटना कैसे घट जाती है.
मुंबई में मारे गए लोगों और शहीद पुलिस कर्मियों को हमारी श्रद्धांजली !