
ऋषिकेश से ऊपर बढ़ते हुए सड़क गंगा के किनारे ऊंचाई पर गंगा के किनारे चलती जाती है । इस सड़क से गंगा कोदेखते रहना बहुत ही मनोरम होता है । रास्ते में अनेक ऐसी ज़गाहें आती हैं जहाँ ये लगता है कि बस यहीं रुक जाएँऔर यूँ ही निहारते जाएँ ।
ये जगह , जहाँ की ये फोटो है , ऋषिकेश से थोड़ा ही ऊपर है । पीछे दायीं तरफ़ आप एक बनती हुई ऊंची सी इमारतदेख सकते हैं। ये अपार्टमेंट्स बन रहें हैं और हमें पता चला कि सारे के सारे बिक चुके हैं। कल को जब ऐसे ही ढेरसारे ईंट के पहाड़ खड़े हो जायेंगे तो असली पहाड़ कहाँ जायेंगे । जा सकते हैं पहाडों में तो हो आइये । कल को ऐसेदृश्य बच पायें न बच पायें।
एक दूसरा उपाय प्रकृति कि रक्षा के लिए कुछ सार्थक कदम उठाने का है । पर क्या हम इतने खाली हैं कि प्रकृति केबारे में सोच सकें?
