रविवार, 20 दिसंबर 2020

कोरोना में मुस्कान!



उस बच्ची का नाम मुस्कान है पर चेहरे पर बस उदासी या आंसू नज़र आते हैं। हॉस्पिटल के रिकार्ड में 15 साल उम्र है पर दिखने में और छोटी लगती है।
पिछले कुछ दिनों से कोरोना से संक्रमित होने के कारण हम SJPGI के राजधानी कोरोना हॉस्पिटल में कोविड वार्ड में ऐडमिट हैं। हमारे क्यूबिकल में वह पांचवीं मरीज है। उसके ऐडमिट होने के बाद डॉक्टरों के राउंड में उनकी आपसी बातचीत में पता चला कि उसका दो वर्षों से SGPGI, लखनऊ से इलाज़ चल रहा है। केस हिस्ट्री में डायबिटीज  शामिल है, नियमित इन्सुलिन लगता है तथा डॉक्टरों की आपसी बातचीत में पता चला कि उन्हें लगता है कि उसे कुछ मानसिक समस्या भी है। 
एक 15 साल से कम उम्र की बच्ची  अगर अपने घर वालों से अलग हॉस्पिटल में अकेली बीमार  पड़ी है तो उसे मानसिक समस्या नही होगी तो क्या होगा।
मुस्कान विपन्न परिवार से है और महोबा की रहने वाली है। घर में दादी का पैर टूटा हुआ है कोई दिखाने वाला वहां नही है। उसके पिता किसी से कर्ज लेकर उसके नियमित इलाज़ के कंसल्टेशन के लिए दिखाने आये थे, यहां वह जांच में कोरोना पॉजिटिव निकल आयी तो हॉस्पिटल में अकेले डाल दी गयी। 
बताती है कि महोबा में 3 बार चेकअप हुआ हर बार निगेटिव आयी यहां टेस्ट हुआ तो पॉजिटिव हो गयी। उसे कोविड के सिम्टम्स तो नही हैं पर लगता है उसकी सीवियर मेडिकल हिस्ट्री के चलते  उसे कोरोना हॉस्पिटल में डाल दिया गया अब  निगेटिव होने के बाद ही अपने परिवार वालों से बात कर पायेगी या मिल पाएगी।
मुस्कान की हालत सोचिये! ऐसी निर्मम बीमारी जो सबसे पहले आपको आपके परिवार से, अपनो से अलग कर देती है। सोचिये कि अपने घर से कोसों दूर   बिल्कुल अज़नबियों के बीच बीमार पड़ी एक बच्ची ! ऐसी स्थिति जिसमें अपनों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, कोई भी व्यक्ति अकेला होगा तो परेशान ही होगा वो तो बस छोटी सी बच्ची है। इसलिए जब वह अचानक फूट फूट कर रोना शुरू करती है तो समझ में नही आता कि क्या कहें।
आज उसके लिए बाहर से कुछ सामान आया। सामान खोल कर देखा तो पिंक कलर की नई चप्पलें थीं। जिन चप्पलों को देखकर सामान्य परिस्थितियों में  वह प्रफुल्लित हो उठती, फूट-फूट कर रोने लगी।
क्या कहें!
(यह पोस्ट कोरोना वार्ड से लिखी गई है)

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