रविवार, 5 अगस्त 2012

राजनीति में गैंग अन्ना

पहले दिन जब गैंग अन्ना के लोगों ने राजनीतिज्ञों को गालियाँ देना शुरू किया, हमें अनुचित लगा था . किनारे खड़े होकर उपदेश देना गई जिम्मेदारी भरा काम होता है . आपको लगता है कि कुछ गलत है तो आप दूसरों से उसे सुधारने के लिए कहना शुरू करते हैं यह गलत है . कुछ बुरा है उसे सुधारा जाना चाहिए तो दूसरे क्यों आप खुद क्यों नहीं ?
गैंग अन्ना शुरू से राजनैतिक आंदोलन था और इससे राजनीति को अलग ही नहीं किया जा सकता था . राजनीति अलग तब होती जब आप सिर्फ उन सुधारों की बात करते जो आप चाहते हैं , उसके लिए कानूनी , संविधान सम्मत तरीके अपनाते .आपका तरीका सिर्फ और सिर्फ सकारात्मक होना था .  आपकी भाषा सिर्फ आपके उद्देश्य के लिए तय होती. आप एक राजनैतिक दल चुन कर उसका विरोध करने की बात नहीं करते . हम शुरू से ही इस आंदोलन को अपरिपक्व इसी लिए मान रहे थे. वस्तुतः आप किसी चीज के लिए  से हट कर किसी के खिलाफ नजर आने लगते हैं तो इसके मायने कुछ और ही होते हैं.
पिछली अप्रैल और अगस्त में जो जन समर्थन गैंग अन्ना को मिला इन्होने उसका मतलब गलत लगा लिया . भीड़ इनकी खुराक बन गयी और भीड़ ही प्राणवायु
मीडिया की चकाचौंध , रात-दिन कवरेज , मिस्सड काल्स , फेसबुक लाइक्स, कमेंट्स और ट्विटर तो साथ में थे ही . पांच -छह लोगों का समूह खुदा बन गया . खाप पंचायत बन गयी . कौन अच्छा है कौन बुरा , किसे पद में बाँध कर पीता जाना चाहिए किसे "बस एक थप्पड़ लगाना है " जैसी चीजे शुरू हो गयीं. और शुरू हो गया उन्माद परोसा जाना
गैंग के एक सदस्य ने आंदोलन के उफान के दिनों में अपने फेस बुक पर लिखा था
"स्थानीय इंटेलिजेंस के लोग हमारे बारे में पूछ ताछ कर रहे थे 
तो क्या डर जाऊं 
इससे अच्छा है की मर जाऊं "
एक पुरानी ट्वीट को अभी अभी का बता कर पेश किया जाता है कि सरकार खबरे दबा रही है वस्तुतः जितना मीडिया दिखा रहा है जन समर्थन उससे ज्यादा है
पिछली अगस्त में मेरे मोबाइल पर चेन एस एम् एस आते कि अमुक बच्चा जिसकी उम्र सिर्फ अमुक साल है अन्ना के साथ अनशन पर बैठा था आज बेहोश हो गया है डॉ उसकी स्थिति खतरनाक बता रहे हैं और सरकार ने खबर दबा ली है .
इस बार मैसेज आ रहे थे कि इस जगह हजारों की सख्या में लोग गिरफ्तार करके अनशन में पहुँचाने से रोके गए . फेसबुक पर लिखा जाता "तेरा वैभव अमर रहे माँ हम दिन चार रहे न रहें "
सनसनी  फैला कर लोगों को यह अहसास कराया जा रहा था कि जैसे देश एक बड़े से रणक्षेत्र में बदल गया हो और सरकार का दमनचक्र चल रहा हो
अगर सरकार दमन पर उतारू ही थी तो आप कैसे सही सलामत हैं
सरकार का दमन कैसा होता है उनसे पूछिए जिन्हें आपातकाल की याद हो
कैसे आवाज का गला घोंटा जाता है तहलका से पूछिए
खैर !
हम गैंग के राजनीति में आने का स्वागत करते हैं उनकी नीयत पर सौ प्रतिशत अविश्वास होने के बावजूद हम चाहते हैं कि हम गलत साबित हों और गैंग सही साबित हो इस लिए हम चाहते हैं कि यह लोग समझे कि अगर राजनीति करनी है तो एक समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत करें
परम शक्तिशाली लोकपाल ही एक मात्र चीज नहीं है जो हमें चाहिए सिर्फ भ्रष्टाचार का रुकना ही जरुरी नहीं है वैसा कोई दृष्टिकोण हमें आज तक नहीं नजर आया . अगर हम पूरे गैंग के प्रति सकारात्मक होकर भी आंकलन करें तो भी यह एक खाप पंचायत से बढ़कर कुछ नहीं है सुधारवादी परन्तु यथास्थिति वादी
जी नहीं ऐसी सरकार की भारत को जरुरत नहीं है खाप पंचायत की जगह थोड़ी भ्रष्ट सरकार भी चलेगी अगर वो प्रगति वादी विकास वादी और परिवर्तन वादी हो
गैंग को राजनीति जाननी होगी
उसे जानना होगा कि जितना समर्थन उसे उसके उफान के दिनों में मिला था उतना समर्थन भी उसे सिर्फ वोटकटवा पार्टी के रूप में ही खडा कर सकता है और समर्थन बढाने के लिए समग्रता की जरुरत है , अपने दंभ में कमी की जरुरत है . दूसरों को भी कुछ समझने की जरुरत है .
और हाँ
भारत में फिलहाल कोई राजनैतिक दल फेसबुक ट्विटर और मिस्सड काल के भरोसे नहीं खडा किया जा सकता . दिल्ली से बाहर निकलो घरों से बाहर निकलो दिनभर फेसबुक और ट्विटर पर आपके आंदोलन का समर्थन करने वाले कामकाजी लोग वस्तुतः भ्रष्ट ही हैं  क्योंकि वो अपने काम के समय में काम छोड़ कर यह कर रहे हैं 

5 टिप्‍पणियां:

  1. Aapki batei'n sahi ho sakti hai par bhasha talkh hai.... Sanymit hoti to achchha hota...

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  2. बिना राह में बढ़े कैसे आस रखें कि लोग आपके अनुसार आचरण करेंगे?

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    1. यही बात तो हम हमेशा कहते रहे हैं प्रवीण जी

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  3. सही बातें लिखीं। अभी तो उनको शुरुआत करनी है। समाज बदलने के लिये समाज के सब लोगों को साथ लेना होता है। ये भाईलोग तो सबको गरियाते रहते हैं।

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hamarivani

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