दिल एक पुराना सा म्यूज़ियम है...
कुछ दिल की ...
रविवार, 31 मार्च 2013
गुमनाम दिन!
आजकल दिन गुमनाम से हो चले हैँ
अन्धकार मेँ शुरू होकर
अन्धकार मेँ ही मिट जाते हैँ |
शायद कभी ऐसा न रहा हो
1 टिप्पणी:
प्रवीण पाण्डेय
1 अप्रैल 2013 को 11:12:00 pm IST बजे
सच है, कभी कभी ऐसा ही खोना हमारे जीवन में भी आ जाता है।
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hamarivani
सच है, कभी कभी ऐसा ही खोना हमारे जीवन में भी आ जाता है।
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