माननीय मंत्री महोदया ,
महाश्वेता देवी निश्चित रूप से हमारे समय की महान हस्तियों में से थीं। उनको श्रद्धांजलि देने के लिए सिर्फ भावना की जरूरत थी अगर आपके कानों तक वे आवाजें पहुँचती हैं जिनका दर्द वे उठाती रहती थीं , अगर आपके हृदय उसे महसूस कर सकता है तो कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने उनका लिखा कुछ पढ़ा था या नहीं । कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपको सच में उनकी लिखी किसी किताब , किसी कहानी का नाम पता भी है या नहीं।
वैसे हमें पता है आप मानवता के चलते काफी कुछ करती रहती हैं ।
जब आपके ट्वीटकार ने (अगर आपने ये ट्वीट नहीं किया हो तो ) यह दिखाने की कोशिश की कि आप ऐसे नाम वाली किसी लेखिका की कुछ किताबों के नाम जानती थीं और आपने उसे पढ़ा और उससे प्रभावित हुई थीं और उसमें ट्वीटकार (या आप) असफल हुआ तो चोरी छिपे ट्वीट हटाने की जगह अगर खेद प्रकाशित कर दिया जाता तो कैसा होता ?
शायद आपको यकीन नहीं होगा पर हम मानते हैं कि आपके संगठन से जुड़े कुछ लोग पढ़ने लिखने में भी सक्षम हैं। आपको यकीन नहीं होगा पर हम मानते हैं कि आपके संगठन से जुड़े कुछ लोग अपनी कमियों को समझ भी सकते हैं और उसके लिए क्षमा मांगने लायक साहस भी रखते हैं ।
मंत्री महोदया आपके संगठन से जुड़े लोग दूसरे नेताओं की बोलने के लिए नोट्स रखने पर खिल्ली उड़ाते हैं। ऐसी खिल्ली बुरी होती है चाहे वो प्रधानमंत्री जी के भाषण में होने वाली त्रुटियों के लिए हो या किसी ट्वीट के लिए लेकिन जरा सोच के देखिये कि ऐसी किसी कमी पे अगर खेद व्यक्त कर दिया जाय तो कैसा होगा ?
है न हिम्मत का काम ?
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