एक दिन कभी
शायद हम फिर मिलें
जीवन के किसी मोड़ पर
यूँ ही भटकते हुए
तब शायद हम ढोंग करें
एक-दूसरे को न जानने का।
या फिर हम पहचान लें
और थोड़ा मुस्कुरा कर कहें
“अच्छा लगा तुमसे मिलकर”
और कर के कुछ इधर-उधर क़ी बातें
अचानक कोई ज़रूरी काम याद आने की बात कहकर
थोड़ा और मुस्कुराएंगे
और अलग होंगें कह कर
फिर से मिलने क़ी उम्मीदों के बारें में ।
लेकिन ये सब कुछ
शुरू से ही झूठ होगा
धोखा होगा ख़ुद से ही
उस वक़्त हमे मिलना पसंद न आए शायद
भारी लगे मुस्कुराना,
दर्द दे बातें करना
और तो और
फिर से अलग होना भी परेशान करेगा
दिल रोएगा आँसू छिपा
फिर से अलग होने क़ी बेबसी से।
लेकिन कभी नही रहा
इतना समझदार ये दिल
ये फिर से मिलना चाहता है
बातें करना और मुस्कुराना चाहता है
ज़ख़्मों को फिर से खोल-खोल कर
फिर-फिर से रोना चाहता है।
लेकिन कभी नही रहा
जवाब देंहटाएंइतना समझदार ये दिल
ये फिर से मिलना चाहता है
बातें करना और मुस्कुराना चाहता है
ज़ख़्मों को फिर से खोल-खोल कर
फिर-फिर से रोना चाहता है।...
आह !
दिल का पागलपन ही उसकी सबसे बड़ी विशेषता है
bahut sundar rachana,pagle di ko kya kahe ab.
जवाब देंहटाएंलेकिन कभी नही रहा
जवाब देंहटाएंइतना समझदार ये दिल
ये फिर से मिलना चाहता है
बातें करना और मुस्कुराना चाहता है
ज़ख़्मों को फिर से खोल-खोल कर
फिर-फिर से रोना चाहता है।
इसी का नाम जिंदादिली है।
एक चुभता हुआ सा सच है इस कविता में, दिल की इस नासमझी में...और फ़िर मिलने की इस चाहत में.
जवाब देंहटाएंलेकिन कभी नही रहा
जवाब देंहटाएंइतना समझदार ये दिल
ये फिर से मिलना चाहता है
बातें करना और मुस्कुराना चाहता है
ज़ख़्मों को फिर से खोल-खोल कर
फिर-फिर से रोना चाहता है।
dil k sath aisa hi hota hai.
Ajeeb hota hai
जवाब देंहटाएंpar aisa mauka hi kyon aane diya jaay?
gr8 thought
जवाब देंहटाएंरौशन जी,
जवाब देंहटाएंइस पूरी कविता का सारा मजा सिगरेट के आखिरी कश की तरह इन पंक्तियों में है :-
लेकिन कभी नही रहा
इतना समझदार ये दिल
ये फिर से मिलना चाहता है
बातें करना और मुस्कुराना चाहता है
ज़ख़्मों को फिर से खोल-खोल कर
फिर-फिर से रोना चाहता है।
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति. बधाईयाँ.
मुकेश कुमार तिवारी
लेकिन ये सब कुछ शुरू से ही झूठ होगा....
जवाब देंहटाएंधोखा होगा ख़ुद से ही .....
दिल में छिपे बैठे एक सच्चे सच्च को बड़ी सादगी और साहस से कह डाला है आपने अपनी इस अनूठी कविता में ! अपने साथ जुड़ा हुआ कोई ख़ास रिश्ता कहाँ भूल पता है दिल कभी...!!
बहोत ही उम्दा नज़्म के लिए बधाई स्वीकार करें .
---मुफलिस---
Hmmm...Nisha ne bilkul sahi farmaya hai!
जवाब देंहटाएंise pad kar mahassos hua ki kanhi n kanhi hum sabka dil ek aise anjaane rishte me bandha hota hai...... apne un sabhi logo ki bhavnao ko lafjo me peero diya h,apko badhai.
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