लखनऊ के आस-पास अब पलाश के पेड़ बड़ी मुश्किल से मिलते हैं । कल हमने निश्चय किया कि पलाश का पेड़ खोजना है । कहते हैं खोजने पर भगवान् भी मिल जाता है तो फ़िर यह तो फूल ही था।
कुछ फूलों को डिजिटल रूप में परिवर्तित कर के आपके सामने पेश करने का लोभ भी था। कैमरा अच्छा नही था पर फोटो तो फोटो ही है न!
वैसे फूलों का उपयोग नाराज़ लोगों को मनाने के लिए भी किया जाता है , ये फूल नाराज़ लोगों को मनाने के लिए भी है ।
उम्मीद है जो नाराज़ हैं , गुस्सा थूक देंगे ।
ठीक-ठीक बताओ मनाया किसको जा रहा है ?
जवाब देंहटाएंफूल सुन्दर हैं जिसे मनाया जा रहा है उसे मान जाना चाहिए
बहुत सुंदर ! मुझे तो ये फूल सदा से मोहित करते रहे हैं। ये केवल महीने भर के लिए ही खिलते हैं। शेष वर्ष भर किसी को कैसे मनाया जाए?
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
behad khubsurat
जवाब देंहटाएंजब कभी इन फूलों की ज़रूरत लगे और ज़्यादा मेहनत न करने का मन हो तो HAL के आस-पास गोमती नगर से पॉलीटेक्निक वाली रोड पे रहिए कुछ एक पेड़ हैं और गोमती नगर में भी मिल जाते हैं।
जवाब देंहटाएंइतनी बढ़िया टिप दी है, अब तो बता दो किसे मना रहे हो?
---
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
अरे भाई विनय आपकी टिप गलत है . जिन पेड़ों की बात आप कर रहे हैं वो पलाश के नहीं सेमल के पेड़ हैं. सेमल का पेड़ बड़ा होता है और उसमें लाल रंग के फूल खिलते हैं और उन फूलों से रुई निकलती हैं.
जवाब देंहटाएंपलाश का पेड़ कद में छोटा होता है इसकी पत्तियों की पत्तलें बनायीं जाती हैं, इसे ढाक, टेसू, किंशुक आदि नामों से भी जानते हैं . इसे अंग्रेजी में फ्लेम ऑफ़ फॉरेस्ट बोलते हैं. इसके फूल चटख नारंगी रंग के होते हैं . सूखने पर इन फूलों का रंग मटमैला सा पीला हो जाता है . इन फूलों से पहले होली के रंग बनाये जाते थे.
आप ने वस्तुतः सेमल के पेड़ देखें हैं और ये पेड़ लखनऊ में पूरे शहर भर में हैं
सच है ... अपनों के रूठे को मनाने में बहुत दिक्कतें आती हैं .... आशा है अब तक मान गए होंगे।
जवाब देंहटाएंआहा...पलाश के फूल किसको पसंद न होंगे!
जवाब देंहटाएंअरे हम गुस्सा होते ही कब है जी . फ़िर भी जब आपने सैमल के फ़ूल दिखाये . तो हमे इंतजार है कि आप इसकी रूई से एक अदद तकिया अवश्य बनाकर भेजेगे :)
जवाब देंहटाएंपंगेबाज भाई ये पलाश के फूल हैं सेमल के नहीं, इनसे रुई नहीं मिलती फूलों से रंग बनता है और होली खेली जाती है
जवाब देंहटाएंअब रंग लगाने के लिए सहमति थोड़े न मांगी जाएगी बस रंग लगा दिया जायेगा
बहुत सुन्दर लगते हैं यह फूल
जवाब देंहटाएंहोली अधूरी है पलाश के बिना. अच्छी तस्वीरें.
जवाब देंहटाएंपलाश के फूलों की बात ही अलग है। इस खूबसूरत पोस्ट के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंपहली फोटो में लाइट सही से रखना था , रंग सही नहीं दिख रहा है
जवाब देंहटाएंसबसे अच्छी डाल की फोटो है
अगर मनाने का तरीका ऐसा हो तो मै भी गुस्सा हो के देखूं क्या ?
अच्छा अच्छा...very smart! Tum bhi apne doston ka care karte ho ye jankar hame apaar khushi hui.
जवाब देंहटाएंWaise mere ghar ke paas semal ka ped hai but mujhe maloom nahi tha or dur se mujhe aisa dikh raha tha ki wo palash hai. Maa kahti rahi ki wo palash nahi hai but main nahi suni or ped ke paas tak maa ko bhej di thee ki mujhe lakar dikhao tab manungi. Maa ko jana pada or mujhe tassalli dene ke liye lakar dikhai. Please if possible by post mujhe palash ke phool bhej do.
जवाब देंहटाएंroshan ji ye aap ne bilkul hi sahi likha ki aab palash ki phool bilkul hi lupt hone ki kagar pe hai.par aabhi bhi kuch jaghe yesi hai jo in sundar phoolo se bhare pedho ki sath chup chap hi aapne jagh pe khada hai.ye se pedh aap ko banaras ki galio mein mil jayege.
जवाब देंहटाएंnahi lupt to nhi kah sakte
हटाएंchhatisgarh palash k janglo se bhara hai