मौन!
का अर्थ,
दो आयामों में गौण!
मुर्खता का अंधकूप या,
ज्ञान की व्यापकता!
सीमा तय करते एक साथ,
दो राहे तक आते ही,
पहचान अलग-अलग
फैसले का गुबार,
अपनी ओर खींचता,
न जाने कितनी समझ को,
फिर समाज पैदा होता,
हाँथ-पैर के जन्म लेने से पहले
तंद्रा भंग होते ही,
क्रांति या विनाश
समाज की समझ,
और दिशाहीनता,
साथ-साथ सर पटकती,
परिणाम के चौखट पर
तभी उद्दवेग आपा खोकर,
दिखाई देने लगता,
कभी सड़क पर,
कभी बज़ार के सैकडों की भीड़ पर,
कभी संसद पर,
तो कभी माँ-बहनों की अस्मत पर
हित-अहित का पक्ष अपना है,
हर डाली झुकी है,
अपने ही फल के बोझ से
कर्म चिपटा है,
अतीत से वर्तमान के,
फ़ासलों को तय करता हुआ,
भविष्य के मुँह तक
मौन!
फलसफ़ा है,
आस्तीन को छुपाने का
और सुबह की मीठी धुप भी
बहुत गहन भाव हैं.
जवाब देंहटाएंमौन!
जवाब देंहटाएंफलसफ़ा है,
आस्तीन को छुपाने का
और सुबह की मीठी धुप भी
मौन की अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति. स्वागत.
मौन!
जवाब देंहटाएंफलसफ़ा है,
आस्तीन को छुपाने का
और सुबह की मीठी धुप भी
मौन कि अपनी भाषा है जो बहुत कुछ कह देती है अच्छी लगी आपकी यह रचना
ताज़ा परिवेश कविता में सजीव बन पड़ा है
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चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
बहुत अच्छा लिखा है
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा
aah.... yeh maun kitnaa kuch bol gaya... vichar to khoobsoorat aur sateek hain hi par xpression kaa style bhi naya aur prabhavshaali hai...
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