कुछ दिल की ...
हिंसक भीड़ द्वारा संचालित शासनतंत्र में जीते हम, आपातकाल के बाद की पीढ़ी के लोग
हैरान होते हैं आज कि लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विचारों की आज़ादी को बेड़ियां पहनाने की कोशिशें तब अनुचित मानी जाती थीं
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