रात के एक बजे थे अचानक मोबाइल की एस एम् एस टोन गुहार लगाती है ।
एस एम् एस एक दोस्त का था जो दिल्ली में बैठा हुआ था । अभी थोडी देर पहले तक वो जिद कर रहा था कि ऑनलाइन आओ कुछ बात करनी है। तमाम कोशिशों के बाद भी जब नेट कनेक्ट नही हो पाया तो हमने हथियार डाल दिए और वो मायूस होकर चुप होगया।
यु आर डिजिटली बी पी एल!
एस एम् एस कहता है।
डिजिटली बी पी एल होना आज के युग में एक बड़ी परेशानी की बात हो गई है।
दिल्ली और लखनऊ में रहने वाले के लिए ३जी न होना बी पी एल होना है डिजिटली बी पी एल !
देश के जिस हिस्से में आजकल हम हैं वहां पर लोग कई तरह से बी पी एल हैं
२००१ की जनगणना के हिसाब से ५१००० के आस पास की आबादी वाले इस इलाके में करीब १०००० के आस-पास बी पी एल राशन कार्ड हैं। पाँच सदस्यों वाले परिवार का हिसाब लगायें तो कोई पचास हज़ार बी पी एल!
राशन कार्ड में गरीबी जम के झलकती है । कोटेदार के कोई बीस हज़ार रूपये खर्च होते हैं अलग अलग लोगों को खुश करने में। अब इसके बाद उसकी कमाई भी होती होगी। तो फ़िर गरीबी कमाई का अच्छा साधन हुआ। एक बी पी एल परिवार कितने लोगों की गरीबी दूर करता है इसका हिसाब लगाने पर पता चलता है कि बी पी एल होना कितना जरूरी है।
लखनऊ में सामजिक परिवर्तन स्थल से गुजरें तो सामाजिक परिवर्तन नजर आता है । चुंधियाती हुई रौशनी ! पूरा इलाका रात में भी दिन को मात देता हुआ सा लगता है।
लखनऊ से बाहर निकलते ही पता चलता है कि बाकी के इलाके बिजली के हिसाब से बी पी एल हैं। अभी हम जहाँ बैठे हैं वहां हफ्ते-वार बिजली की व्यवस्था चलती है । एक हफ्ते में दिन में लाईट आती है (आती जाती है ) , तो अगले हफ्ते रात में (आती-जाती है )। सामाजिक परिवर्तन लखनऊ में नजर आता है लखनऊ से बाहर गायब हो जाता है।
खैर जो चीजें सिर्फ़ दिखाने की हैं वो लखनऊ और दिल्ली में ही शोभा देती हैं । सामाजिक परिवर्तन दिखाने की ही चीज है शायद होने की नही।
एक इलाके में पहुंचे वहाँ बोर्ड लगा हुआ था -
मोबाइल चार्जिंग - पाँच रूपये मात्र।
बिजली नही पहुँची लेकिन मोबाइल मौजूद है अब मोबाइल है तो चार्ज भी होना होगा। लोग डिजिटल बैकवर्ड नेस से बाहर निकल चुके हैं बिजली आए न आए।
मोबाइल कंपनियाँ नए नए मोबाइल निकाल रही हैं बिजली आए न आए मोबाइल चलता जाए!
उन्हें धंधा चलाना है बिजली आए न आए , उन्हें धंधा चलाना है लोगों की जेब में जितना भी पैसा हो उसे ध्यान में रखते हुए ।
कुछ दिन पहले एक थोडा ख़ुद को गिनाने वाले ने हमें धमकी दी थी
-रहना तो यही है न !
हमें सुनकर गुस्सा आ गया
- क्यों यहाँ कौन से सुरखाब के पर लगे हुए हैं ? और यार तुम लोग एक लाईट तो अपनी सही नही करवा पाते आ जाते हो छोटी -छोटी बातों पर धमकी देने
हमारी बात सुनकर वो चुप हो गया हमने उसकी दुखती राग पर हाथ रखा था। वो सामाजिक परिवर्तन स्थल वाले दल का कार्यकर्त्ता था
bahut hi achha likhe hai
जवाब देंहटाएंदिल्ली से पहले जिसने आपको जो कहा नहीं पता ठीक कहा या गलत........ और मुद्दे पर बिना गए दिल्ली से ही इतना जरूर मै और कहूँगा की....
जवाब देंहटाएंअब आप टाईमली बी.पी.एल. जरूर हो गये हैं.....