सितम्बर 2002 की बात है हम इंडिया टुडे पढ़ रहे थे। उसमे एक स्टोरी ब्लोगिंग को लेकर थी । हमें बात जम गई बस तुंरत फैसला किया कि जैसा भी होता हो हमें ब्लॉग चाहिए ही चाहिए । दो-तीन ब्लॉग्गिंग साइट्स के नाम रटे, इंडिया टुडे को एक कोने में उछाला और निकल पड़े नजदीकी साइबर कैफे की खोज में ।
उन दिनों हमें इन्टरनेट के इस्तेमाल के अलावा कंप्यूटर के बारे में कोई जानकारी नही थी। २-३ ब्राउजर पहचानते थे की बोर्ड पहचानते थे, माउस पहचानते थे और जानते थे कि माउस क्लिक करना होता है। ब्लोगर वाकई सरल था हमने बाकियों को किनारे किया और ब्लोगिंग शुरू कर दी । सही तारीख तो नही याद है पर ब्लॉग बनने के हफ्ते भर के अन्दर पहली पोस्ट डाली थी । जो 20 सितम्बर 2002 की तारीख बतलाती है । तो इस लिहाज़ से हमें ब्लोगिंग करते आज 7 साल पूरे हो गए हैं।
शुरूआती ब्लॉगर बड़ा अजीबोगरीब टाइप का होता था। हम आपनी शुरूआती पोस्ट्स में टाइटल का लिंक नही देखते हैं । पता नही टाइटल देने की सुविधा नही थी या फ़िर हम अज्ञानी समझ नही पाते थे ।
परिवर्तनों की शुरुआत
1999 में शुरू हुए ब्लॉगर में जब हमने प्रवेश किया तो उसी समय ब्लॉगर को खरीदने के बारे में गूगल और ब्लॉगर के स्वामित्व वाली पायरा लैब्स में बातचीत चल रही थी।
2003 की शुरुआत में किसी समय पता चला कि पायरा लैब्स अब गूगल की है और ब्लॉगर भी।
ब्लोगर में गूगल ने परिवर्तन लाना शुरू कर दिया और इसी परिवर्तनों की यात्रा में साथ -साथ बहते हुए हम भी सीखते रहे जाने क्या क्या।
और भी कुछ
2003 में हमने एक और ब्लॉगर अकाउंट खोला और एक दूसरा ब्लॉग बनाया । ये ब्लॉग छद्म नाम से थोड़ा आक्रामक होकर लिखने को बनाया था . अब तक हम टिप्पणियाँ देने के महत्त्व से परिचित हो चले थे इसलिए ये ब्लॉग चल निकला . हमारा पहला ब्लॉग जहाँ विजिटर्स का मोहताज था वहीँ दूसरा ब्लॉग अच्छा चल रहा था. २००३-२००५ तक के सालों में हमने जम के झगडा किया और सिरदर्द मोल लिया अंत में दिन ब्लॉग डिलीट करके ओरवेल के १९८४ उपन्यास के पात्रों की तरह गायब हो गए . मजा तो ये है कि हम मौजूद रहते हुए भी गायब हैं । कभी कभी अपने उन पुराने दोस्तों के ब्लोग्स पर घूम आते हैं ।
इन दो सालों में हमने जितना झगडा किया उतना जिंदगी भर नही किया होगा ।
प्राइवेट डायरी
ब्लॉग नामक टूल का एक अच्छा इस्तेमाल निजी डायरी बनाने में भी अच्छे से हो सकता है ॥ ऐसा कुछ जो आप अपने कुछ ख़ास दोस्तों को ही पढाना चाहते हों।
हमने नोटिस किया है कि अपने हिन्दी ब्लॉग जगत में कुछ एक लोग पासवर्ड प्रोटेक्टेड ब्लॉग भी रखते हैं। ये पासवर्ड प्रोटेक्शन हर किसी को उस ब्लॉग तक पहुँचने से रोक देता है । हमने भी इसका इस्तेमाल किया है इसका इस्तेमाल करते हुए हमें लगता है कि हम फ़िर से क्लास में बैठे हैं और दोस्तों से कागज़ की छोटी छोटी पर्चियों पर लिख कर बात कर रहे हों। छोटी पर्चियों संभालने में दिक्कत होती थी तो हमने एक बार बड़े से पेज पर लिखना शुरू कर दिया। वह पेज उन्ही लोगों के हाथो से गुजरता था जो उस बातचीत में शामिल रहते थे। और जिसे जो कुछ कहना होता था वह लिख कर साइन कर देता था।
ऐसे कई पेज तो समय के साथ गुम होते गए पर कुछ आज भी बचे हुए हैं । उन्हें पढ़ना हमेशा आनंद देता है।
ऐसे ही पासवर्ड प्रोटेक्टेड ब्लोग्स हैं।
छोटे से समूह का अपनी सुविधानुसार लोगों की नजरों से ओझल रहते हुए लगातार चलने वाला वार्तालाप ।
जिन्होंने ट्राई किया है वो जानते होंगे कि ये वाकई मजेदार है ।
टिप्पणी प्रसंग !
कुछ नियम
प्रत्येक नए ब्लॉग पर की गई प्रतिक्रिया आपके ब्लॉग के पाठकों में एक और पाठक और टिप्पणी देने वालों में एक और टिप्पणी देने वाला जोड़ सकता है।
आप कुछ भी लिखते हैं तो उस लेखन पर आने वाली टिप्पणियाँ आपके द्वारा दूसरे ब्लोगों पर दी गई टिप्पणियों के समानुपाती होती हैं।
विवाद लोगों को आकर्षित करने का अचछा माध्यम होता है पर इसके लिए आपको थोड़ा सा नामचीन होना पड़ेगा।
हमने अपनी इंग्लिश ब्लोगिंग में ये तीनों नियम इस्तेमाल किए हैं और सफलता पायी है । कहाँ क्या अच्छा है इससे ज्यादा लोगों की रूचि कहाँ क्या बुरा है खोजने में ज्यादा रहती है।
खैर!
अभी हाल ही में चिट्ठाचर्चा पर कुश ने एक ब्लॉग और उसपर आई टिप्पणियाँ उजागर की । ज्यादा कुछ कहना बेकार है क्योंकि कुश ने सबकुछ कह डाला है पर कभी जब हम अपने ब्लॉग पर आई हुई टिप्पणियाँ पढ़ रहे होते हैं तो अक्सर किसी टिप्पणी को देख कर दिल से आह निकलती है
..... उफ़ बिना पोस्ट पढ़े या बिना समझे टिप्पणी मार दी गई होगी।
आप में से कईयों को ऐसा ही लगता होगा
behad rochak jankari, aapko sat sal hone par badhi
जवाब देंहटाएंलीजिये हम भी आपके फालोवर बन गए -देर आयद दुरुस्त आयद !
जवाब देंहटाएंबेहतर जानकारी । आभार ।
जवाब देंहटाएंbahut lambe khiladi hain aap.. is uplabdhi par badhaai!!
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंआप तो छुपे रूस्तम निकले :-)
बधाई 7 सालिया होने की
बी एस पाबला
अच्छा लगा आपसे पुरानी बातें जान कर.
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रोशन जी,
७ वर्ष एक लंबा समय है ब्लॉगिंग में...
आप इतने लंबे समय सक्रिय रहे...बधाई
साथ ही शुभकामनायें भविष्य के लिये भी...
अच्छी उपलब्धि है यह। यह सात साल अंग्रेजी के नाम रहे या हिन्दी का लाभ हुआ? उस समय हिन्दी ब्लॉग शायद फैशन में नहीं था।
जवाब देंहटाएंआपको बधाई और आगे के लिए शुभकामनाएं।
AApane saarthak soochanaa dee hai aabhar
जवाब देंहटाएं7 वर्ष से ब्लागिंग .. बहुत बढिया लगा जानकर .. लिखने का ढंग भी रोचक है आपका !!
जवाब देंहटाएंप्रणाम गुरूवर..इत्ते दिन कहां छुपे हुए थे..कमाल है ....सात साल..बहुत बढिया जी..मजा आ गया आपके अनुभव पढ के तो....
जवाब देंहटाएंवाह, पोस्ट में नोस्टाल्जिया भी है और संग्रहणीयता भी!
जवाब देंहटाएंबड़ी ईमानदारी से लिखा है, अच्छा लगा शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंYe silsila chalta rahe.
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }