मार्च के अन्तिम सप्ताह की बात है हम दिल्ली में थे। एक दोपहरी एक दोस्त से मिलने की बात तय हुई हम एकऔर दोस्त के साथ साकेत जा पहुंचे । जिससे मिलना था वो अभी तक आया नही था । थोड़ा बहुत इधर-उधरचक्कर काटने के बाद हम पी वी आर के सामने लगी बेंचों में से एक पर जा बैठे।
वहाँ बैठने के थोडी देर बाद ही हमारा ध्यान खींचा तीन बच्चों ने । वस्तुतः माल के चकाचौंध वाले माहौल में वो तीनबच्चे पूरी तरह से बाहरी नज़र आ रहे थे और इस बात पर ध्यान दिए बिना वो एक छोटी सी अत्यधिक उछलनेवाली गेंद से खेलने में मग्न थे।
बच्चों की उम्र कोई नौ-दस साल की रही होगी । उसमे एक लड़का थोड़ा लंबा था और वो ज़रा शर्मीला सा दिख रहाथा । बाकी दोनों लगभग एक ही कद के थे और उम्र के अनुरूप बेइंतिहा ऊर्जा से भरे हुए गेंद के पीछे इधर-उधरभाग रहे थे। अचानक उनकी गेंद तेजी से उछली और सड़क से गुजर रहे ट्रैफिक में जाने कहाँ गुम हो गई। वो तीनोंसड़क की ओर भाग निकले ।
दोस्त को सिगरेट की तलब लग गई थी और वो उठ के सिगरेट लेने गया । इतनी देर में हमने हवा के रुख कोसमझा और उठ के अपने बैठने की जगह में परिवर्तन किया जिससे जब वो बगल बैठ के सिगरेट पिए तो उसकाधुंआ हमारी तरफ़ न आए। न जाने सार्वजानिक स्थल पर धूम्रपान पर लगी रोक का मतलब क्या होता है।
थोडी देर बाद हमने पाया कि वो तीनों बच्चे बेंचों पर बैठे लोगों को निगाहों से टटोलते हुए हमारी तरफ़ बढ़ रहे हैं । आख़िर थोड़ा झिझकने के बाद वो तीनो हमारे सामने खड़े थे और उनके हाथ में पी वी आर का एक टिकट था । हमेंलगा कि ये कहीं टिकट तो ब्लैक नही कर रहे हैं पर मामला दूसरा था । उसमे से एक बच्चे ने टिकट को मजबूती सेपकड़े हुए हमें दिखाया और पूछा ये टिकट चालू है?
टिकट वस्तुतः ब्लैन्क था । उसपर सिर्फ़ नंबर पड़ा था ज़ाहिर है वो किसी काम का नही था।
दोस्त ने अरुचि दिखाते हुए दूसरी तरफ़ देखना शुरू कर दिया था ।
"ये बेकार टिकट है तुम्हे कहाँ मिला "
--"बेकार नही है देखो इसपे लिखा है " एक बच्चे ने इनसिस्ट किया तो हम मुस्कुराए बिना नही रह पाये।
"ये देखो ये सारी जगह खाली है । चालू टिकट में यहाँ सब फ़िल्म का नाम सीट नंबर और टाइम लिखा होता है । इसटिकट पर सिर्फ़ नंबर पड़ा है और वो किसी काम का नही है। "
--"बुद्धू बना रहे हो न !" एक बच्चे ने मुस्कुरा कर पूछा । हमारे दोस्त महोदय को ये नागवार गुज़रा उन्होंने कुछकहना शुरू किया तो हमने उन्हें रोक दिया ।
"अगर तुम ये टिकट लेकर जाओगे तो वो गार्ड खड़ा है न वो तुम्हे भगा देगा "
बच्चों को यकीन नही हुआ अगली बेंच पर एक जोड़ा बैठा हुआ था । लड़की के हाथ में कोल्ड ड्रिंक था और लड़के केहाथ में चिप्स का पैकेट।
"दीदी कोल्ड ड्रिंक दो न " बड़े आराम से एक बच्चे ने जिद की जैसे वो सचमुच अपनी बड़ी दीदी से मांग रहा हो।
लड़की मुस्कुराने लगी और लड़के ने हलके से धमकाया पर धमकी में कटुता नही थी और बच्चों ने भी उसे गंभीरतासे नही लिया ।
"अच्छा तुम चिप्स देदो कोल्ड ड्रिंक रहने दो। " दूसरे बच्चे ने समझौता प्रस्ताव पेश किया
अब लड़के ने तीन चिप्स के टुकड़े निकाल कर तीनो को पकडा दिया और भागने को बोला। जिस बच्चे के हाथ मेंटिकट था उसने टिकट दिखाया।
"ये चालू है?"
हाँ जल्दी जाओ शो छूट रहा है टाइम हो गया है लड़के ने कहा।
तीनों बच्चों ने मुड़कर हमें देखा फ़िर उसे और अंत में उसमे से एक ने बाकी दोनों को बताया कि ये चूतिया बना रहाहै और तीनों फ़िर हमारे पास आ गए।
"ये चालू क्यों नही है " उसने हमसे पूछा
"स्कूल जाते हो?"
"नही नारियल बेच रहा था ख़त्म हो गया है घर गए तो और बेचने को दे दिया जाएगा । ये चालू क्यों नही है "
"तुम्हे कहाँ से मिला ?"
"तुमको भी चाहिए ? "
हमने नही कहा तब तक तीनों भाग के कोने पर लगी टिकट डिस्पेंसर मशीन तक पहुँच गए थे । दो बच्चे दो किनारोंपर खड़े हो गए तीसरे ने मशीन को नीचे से खोला और उसमे लगे रोल में से थोड़ा सा हिस्सा फाड़ लिया । फ़िर तीनोंहमारी तरफ़ भाग कर आए ।
"देखो तुमने जो टिकट निकाला है ये खाली कागज है जब उस मशीन इसपर बाकी चीजें छप जाती हैं तो ये टिकटबन जाता है और चालू टिकट ऊपर से निकलता है नीचे से नही। "
तीनों की समझ में आ चुका था । वो उदास होके फ़िर घूमने लगे । हम जिसका इंतज़ार कर रहे थे वो दूर से नज़रआ रहा था ।
"ये साले अभी इतने शातिर हैं बड़े होकर क्या करेंगे " दोस्त ने कहा
हम भी सोचते रहे कि ये बड़े होकर क्या करेंगे ! डॉ अनुराग ने हमारी पिछली एक पोस्ट पर टिप्पणी दी थी किमुफ़लिसी का एंटीडॉट नही होता । हम सोच रहे हैं क्या सचमुच नही होता!
dost ki burai apni tareef wah re blogger
जवाब देंहटाएंधुएँ से इतनी परेशानी थी तो कह देना था यार ऐसे शिकायत क्यों करते हो
जवाब देंहटाएंकभी यूं भी बीत जाती है जिन्दगी पुरानी फटी टिकटें चुनते या फिर एक बदमिजाज़ के उम्र भर नखरे उठाते.
जवाब देंहटाएंरोचक एवं याद रहने वाला संस्मरण।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
रोचक संस्मरण।
जवाब देंहटाएंवाकई नहीं होता।
जवाब देंहटाएंजिंदगी में कभी यूँ ही दूसरों की दुत्कार लिखी होती है किसी के बचपन पर
जवाब देंहटाएंमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
रोचक पोस्ट ... अच्छा लगा पढकर ।
जवाब देंहटाएंरोचक प्रसंग! छोटे से प्रकरण में कई छिपे हुये आयाम! धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपके दोस्त को लोगोँ की अच्छी पह्चान हो सकती है.
जवाब देंहटाएंपर ज़िन्दगी मेँ और भी चीज़ेँ हैँ जिनका जिक्र आपने किया है.
NIce One.
जवाब देंहटाएंअगली पोस्ट का इंतजार है।
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जादू की छड़ी चाहिए?
नाज्का रेखाएँ कौन सी बला हैं?
रौशन भाई, गर्मी की छुटिटयॉं चल रही हैं क्या।
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खुशियों का विज्ञान-3
ऊँट का क्लोन
touching
जवाब देंहटाएंbachchon ka zindagi ke bare mein optimism badon se kahin jyada hota hai chahe wo gareebi mein hi kyun na rah rahe hon.
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