शुक्रवार, 26 सितंबर 2008

आप संघ के नही हैं तो आप सिमी के हैं?

पिछले दिनों एक ब्लॉग पर उस ब्लॉग को लिखने वाले ने मुझे आमंत्रित किया अपना उपन्यास पढने के लिए। उस ब्लॉग पर पहुँचते ही मेरी नजर पड़ गई संघ की तारीफ़ में लिखे एक लेख पर। उक्त ब्लॉगर ने वह लेख एक अफलातून जी के संघ के ऊपर प्रहारों के विरोध में लिखा था। अफलातून जी ने शायद अपने लेख में संघ के नमूने की देशभक्ति को राष्ट्र के लिए घातक बताया था। मै उक्त ब्लॉगर और अफलातून जी के तर्कों की विवेचना कर पाती इससे पहले मेरी नजर पड़ गई उक्त ब्लॉगर द्वारा अपने लेख पर की गई टिप्पणी पर दिए गए जवाब पर. वो जवाब पढने के बाद मुझे मजबूरन बिना पढ़े ही अफलातून जी के तर्क सही लगने लगे.
उक्त ब्लॉगर के लेख पर किसी ने टिप्पणी की थी "क्या मै संघ का हूँ?"
और उस ब्लॉगर ने जवाब दिया
"तो क्या आप सिमी के हैं?"
जैसा कि मैंने बताया कि अफलातून जी ने संघ प्रकार की देशभक्ति को देश के लिए घातक बताया था।

एक संघ समर्थक का बुश की शैली में ये जवाब कि अगर आप हमारे साथ नही हैं तो आप दुश्मन के साथ हैं वास्तव में देश के लिए घातक ही है. और अगर संघ ऐसे ही सोचता है तो वह राष्ट्र के लिए घातक ही है.
क्या संघ अकेला देशभक्त संघटन है? क्या अब लोगो को अपनी देशभक्ति संघ से प्रमाणित करवाने की जरूरत पड़ने लगेगी? देश के लोगों को संघ और सिमी दो पालों में तोड़ देने वाले लोग किस तरह से राष्ट्रभक्त हो सकते हैं मुझे नही पता.
उस ब्लॉगर से मैंने उसकी इस गलती की चर्चा की तो पता चला कि वह महोदय उन बंद दिमाग लोगों में से हैं जिन्होंने सोचने समझने की शक्ति का कभी इस्तेमाल ही नही किया होगा. मेरी आपत्ति के जवाब में उन्होंने सीधे मुझे अफज़ल जैसे लोगो का हमदर्द बताना शुरू कर दिया. मेरे ये कहने पर कि मैंने अफज़ल का कभी समर्थन नही किया है उन्होंने मुझे कहा कि नही किया है तो करोगी. और गुप्त रूप से करती होगी.
मुझे याद आया उन चर्चाओं का कि कैसे अति राष्ट्रवादी अन्य सभी को हेय साबित करने के लिए ख़ुद की बनाई मान्यताओं का प्रयोग करते हैं.
मुझे याद आया कि इसी तरह हर मौके पर कैसे अन्य सभी को एक उस पाले में धकेलने की कोशिश की जाती है जिसमे वो कभी रहे ही नही और तब क्या ग़लत होता है जब इस तरह धकियाये लोगों में से कुछ सचमुच उस पाले में ख़ुद को खड़ा पाते हैं.
इसी तरह तो तोडा जाता है राष्ट्र को
इसी तरह से तो बनाया जाता है अविश्वास का वातावरण.
शायद वो उन्ही फलसफों पर बढ़ते हैं जो हिटलर जैसे लोगों ने खड़े किए थे

---जो आप से सहमत नही हैं उन्हें ख़त्म कर दो


फिलहाल मै जानती हूँ अपनी आस्था मुझे किसी के प्रमाणपत्र की जरुरत नही है देशभक्ति साबित करने के लिए। इस देश की होने के चलते मुझे हक़ है हर चीज में बोलने का, सवाल उठाने का और जवाब पाने का और मै समझती हूँ सभी को यह महसूस करना चाहिए, हिंदू हो या मुसलमान सभी को
विघटन कारी शक्तियों के मनसूबे तभी नेस्तनाबूत होंगे

26 टिप्‍पणियां:

  1. "क्या संघ अकेला देशभक्त संघटन है? क्या अब लोगो को अपनी देशभक्ति संघ से प्रमाणित करवाने की जरूरत पड़ने लगेगी?..........मुझे किसी के प्रमाणपत्र की जरुरत नही है देशभक्ति साबित करने के लिए।" - सहमत हूँ आप से !

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  2. Dekhiye rupali ji ye jitane bhi sangthan hai. sab khane kamane ka jariya bhar hai. han janta ko bewkoof banana ye khub jante hai. ye deshbhakta bad me hai pahle cash bhakt hai. jisase inki dukan chalati hai. bebak ray ke liye dhanyabad.

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  3. apke spashta nazriye ki dad deta hun. badhiya likha hai. mai bhi ek lekhak hun. meri madad kar sake to apki bahut meharbani hogi. kam se kam apne hi blog par likhane ka mouka dijiye.char chand laga dunga

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  4. प्रमाणपत्र की भला किसे जरूरत है?
    और जो प्रत्यक्ष है उसको भी किसी के प्रमाण की जरूरत भी नहीं.

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  5. जी हां,संघ देशभक्‍त संगठन है, जो भारत माता की जय और वंदेमातरम का जयघोष करता है और बाकी संगठन देशद्रोही है जिन्‍हे इस जयघोष में सांप्रदायिकता की बू आती है।

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  6. हेडर का 'म्यूज़ियम' स्याह झाड़ियों की पृष्टभूमि में ओझल न हो । लेखन की तरह शीर्षक में भी contrast स्पष्ट हो । शहीदे आज़म भगत सिंह की शताब्दी आ गई है , उन्हें याद किया जाए ।

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  7. संघ अकेला देशभक्त संगठन है ये मुगालता न तो संघ को है और न ही संघ वालों को ,बहरहाल आपने मात्र एक टिप्पणी पढकर संघ के प्रति अपनी धारणा बनाई ये निश्चित रूप से दुर्भाग्य पूर्ण है.संघ को हजारों हजार देशभक्त कार्यकर्ताओं ने आगे बढाया है और संघ कार्य और विचार एक समुद्र की भांति है और देश मैं आज बहुत कुछ इससे प्रभावित होता है इसके लिए आप जैसे जागरूक नागरिकों को इसके बारे मैं जरूर जानना चाहिए

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  8. मिहिरभोज जी अगर आप के जैसे सही ढंग से बातें रखने वाले संघ में कुछ लोग होते तो ऐसी धारणा बनती ही क्यों.हम आम लोग हैं बस चीजों को जरा तार्किक ढंग से देखना चाहते हैं पर कुछ लोग हैं जो तर्क वितर्क में आस्था नही रखते
    आप के संतुलित और सही टिप्पणी के लिए धन्यबाद आशा है आप आगे भी आते रहेंगे
    रुपाली तुमने बहुत ही उम्दा लिखा है बधाई हो.
    मैंने उस ब्लॉगर का ब्लॉग देखा और जिस तरह बुरे तरीके से वह तुम्हारा नाम घसीट रहा है और दूसरो की टिप्पणियों के माध्यम से अनाप शनाप प्रकट कर रहा है उससे उसका चरित्र जाहिर होता है और तुम्हारे संतुलित लेख से तुम्हारा
    उस ब्लॉगर की भाषा शैली और तोड़ मरोड़ कर रखी तुम्हारी बातों से जाहिर होता है की दुष्प्रचार किस तरह से किया जाता है.
    बहरहाल हमें चीजों को बेलाग हो कर समझना और देखना जरूरी है और ये सोच जारी रहेगी.

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  9. आपने बहुत संतुलित ढंग से अपने विचार रखे हैं। ये विचार एक आम आदमी का प्रतिनिधित्व करते हैं। लेकिन अफसोस की बात यह है कि ऐसे सुलझे हुए लोग बहुत कम हैं। ज्यादातर लोग ऐसे हैं, जिनकी मानसिकता विकृत हो गयी है। वे ही लोग कहते हैं कि आप संघ के नहीं हैं, तो आप सिमी के हैं।
    इस संतुलित पोस्ट के लिए बधाई। ऐसे ही लिखती रहें। इस देश को आप जैसे सुलझे हुए लोगों की बहुत जरूरत है।

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  10. शुक्रिया.....फॉन्ट का रंग चुनाव बदलवाने के लिए...

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  11. Rupali, log dimag mein tala lagakar baat karenge to unhe sabhi log simi wale hi nazar aayega. Aise log aaj desh ko barbad karne mein lage huye hein. Aapne bahut achha likha hai. Jis tarah se shabdon ko piroy hai usse yah sabit hota hai ki aapke dil mein or dimag mein kya hai. Aur yahi kafi hai.

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  12. कुछ विचारधाराएँ घृणा की बुनियाद पर ही पनपती और आगे बढती हैं. एक काल्पनिक शत्रु का होना इनके अस्तित्व का आधार है.युवा पीढी ही बदलाव ला सकती है. अच्छी पोस्ट है आपकी.संबध विषय पर अपने विचारों को दूर तक पहुचाएं.शुभकामना.

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  13. आपको ईद और नवरात्रि की बहुत बहुत मुबारकबाद

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  14. इतनी आसानी से कोई फ़ैसला नहीं किया जाता . जो संघ में नहीं है उन्हें भी देश के दुश्मनों के खिलाफ खुल कर सामने आना चाइये और साबित करना चाहिए की वे भी देशभक्त है

    वरना आतंकवादियों को निर्दोष और शहीद पुलिस वालों को फेक नकली कहने वालों की विश्वशनीयता हमेशा संदेह में ही रहेगी

    -khetesh
    www.hindinet.co.cc

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  15. खेतेश जी कोई किस आधार पर ये कह सकता है कि जो संघ में नही हैं वो देश के दुश्मनों के ख़िलाफ़ सामने नही आते
    संघ से इत्तफाक न रखने वालों की तादाद बहुत बड़ी है हमारे देश में
    क्या सब यह साबित करने में असफल रहे हैं की वों देशभक्त हैं. तो फ़िर देशभक्ति का संघ द्वारा मानी पैमाना क्या है?
    क्या सविधान को भी इजाज़त मिलनी चाहिए या फ़िर देशभक्त संघी ही तय करेंगे देशभक्ति की परिभाषा
    क्या किसी के द्वारा मुठभेड़ पर सवाल उठा देने से वो आतंकवादियों का समर्थक हो जाता है?
    क्या राज्य और पुलिस की भूमिकाओं पर सवाल उठाना देशद्रोह है?
    क्षमा कीजियेगा पर हर गिरफ्तारी १०० फीसदी सही ही होती है इसका दावा पुलिस भी नही करती
    क्या पुलिस और राज्य हमेशा सही ही होता है?
    सीधे और सरल जवाब नही होते दोस्तों कई प्रश्नों के और सवाल उठाते रहना जिन्दा समाज की निशानी होती है
    हम नही कहते कि इस मामले में पुलिस ग़लत है पर कोर्ट कि प्रक्रिया पूरी होने के पहले अभी जो कुछ है वो एक जांच एजेन्सी का कथन है ब्रह्म वाक्य नही
    और उसका समर्थन करने न करने से कोई देशद्रोही या देशभक्त नही होगा

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  16. देशभक्ति का प्रमाणपत्र न संघ दे सकता है न कोई और दल या संगठन। न आपको किसी भी नागरिक को राष्‍ट्रदोही कहने का अधिकार है जब तक ये साबित न हो जाए। इस राष्‍ट्र में एक संविधान है और कानून जिसे हर नागरिक को सम्‍मान देना चाहिए। ये बाध्‍यता भी है लेकिन कुछ लोगों की दुकानें द्वेष-भाव फैलाकर ही चलती हैं। इन्‍हीं ताकतों से सावधान रहने की जरूरत है। हमारे मुल्‍क के तमाम नेता कुछ दिन पहले तक समाज और शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाने वाला संगठन कहते थे लेकिन अब वह एक प्रतिबंधित संगठन है। ये तथ्‍य है जिसे हम और आप नहीं बदल सकते। इसी तरह हम उन फिरकापरस्‍त ताकतों का समर्थन भी नहीं कर सकते जो सांप्रदायिकता फैलाकर अपना उल्‍लू सीधा कर रहीं हैं। चाहें वह हिंदू कट्टरपंथ हो या मुस्लिम कट्टरपंथ, दोनों ही निंदनीय हैं। अगर हमारे मुल्‍क में कोई दूसरे मुल्‍क के गुणगान कर रहा है तो ये देशद्रोह है लेकिन ठीक इसी तरह जैसे ठाकरे गैर मराठियों को मुंबई या महाराष्‍ट्र से खदेड़ने की बात करते हैं।

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  17. सबसे पहले रुपाली जी की लेखन शैली इतनी सटीक और अद्भुत है कि कोई भी इनका लेख पढ़ने के बाद इनका कायल जरूर हो जाएगा | मै एक बात कहना चाहूँगा आपसे कि किसी एक ब्यक्ति के विचारों से आप उसके परिवार या जिस संगठन से वह जुदा हुआ है , गलत नहीं ठहरा सकती | कोई भी संगठनएकदम साफ़ सुथरा हो ही नहीं सकता वरना उस संगठन की अभिब्यक्ति की जरूरत ही नहीं रहती | मै ना तो सिमी और नाही संघ से जुडा हुआ हूँ , किन्तु मुझे इतना तो पता है कि कौन संघटन कितने हद तक सही है | आज दुनिया में हर चीज की पहचान कि क्या वो सही है या गलत - उसके तुलनात्मक विश्लेषण से ही की जाती है और मेरा मानना है कि संघ कि नींव जिन विचारधाराओं पे रखी गयी थी और जिस जोश से संघ ने समाज को बिना क्षति पहुचाये उसे जोड़ने का काम किया है वो सराहनीय है | मै यह भी कहना चाहूँगा कि मै विश्व हिन्दू परिषद् और बजरंग दल का आलोचक हूँ क्यूंकि ये लोग जिस हिंदुत्व को हठ पूर्वक पुनर्जागृत करने कि बात करते हैं वह समाज के किसी वर्ग को स्वीकार्य नहीं है |

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  18. हम सब भारतीय हैं, हम सब भारतीय हैं
    अपनी मंज़िल एक है
    हा, हा, हा, एक है, हो, हो, हो, एक है.
    हम सब भारतीय हैं…

    कश्मीर की धरती रानी है, सरताज़ हिमालय है,
    सदियों से हमने इसको अपने ख़ून से पाला है
    देश की रक्षा की ख़ातिर हम समशीर उठा लेंगे,
    हम समशीर उठा लेंगे…
    बिखरे-बिखरे तारे हैं हम, लेकिन झिलमिल एक है,
    हा, हा, हा, एक हैं
    हम सब भारतीय हैं…

    मंदिर गुरुद्वारे भी हैं यहाँ, और मस्जिद भी है यहाँ
    गिरजा का है घड़ियाल कहीं, मुल्लाह की कहीं है अज़ान
    एक ही अपना राम है, एक ही अल्लाह ताला है,
    एक ही अल्लाह ताला है…
    रंग बिरंगे दीपक हैं हम, लेकिन जगमग एक है
    हा, हा, एक है, हो, हो, एक है.
    हम सब भारतीय हैं…

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  19. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  20. उग्रवादियों से अधिक, उग्र और मूर्ख विचार देश के लिए घातक हैं चाहें वे मुस्लिम हों या हिन्दू !
    आप अच्छा लिखती हैं रूपाली जी !

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  21. isse mujhe to aisa lagta hai ki aapko tab jyada khusi hogi jab log sangh ki jagah simi se judne lagen, roopali ji, aisa likhkar aap un lakhon logon ka apmaan kar rahi hain, jinhone teg par apne sar rakh diye the aurangzeb ke zamane men, sangh se deshbhakti ka praman beshak mat liziye, lekin apne karmon se unhe galat siddh kijiye, ham aapse praman lena shuru kar denge.

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  22. कामन मैन साहब आपने पोस्ट को पढ़ें बिना ही कमेन्ट मार दिया अगर पढ़ा तो शायद समझा नही
    मैंने किसी का समर्थन या विरोध नही किया बल्कि संघ या सिमी में से एक ठहराने वाली मानसिकता की बात की है और उसका विरोध किया है देश की अधिकतर जनता न संघ की है न सिमी की.
    लेकिंग कुछ लोग और बेशक आप उनमे शामिल हैं ये आप के ब्लॉग से जाहिर हो जाता है देखने के दो ही तरीके जानते हैं संघ या सिमी. मई उनमे से नही हूँ.
    और औरंगजेब के टाइम की बात करें तो अगर मै संघ को बुरा भला भी कहूँ तो मै उनका कैसे अपमान कर रही हूँ?
    मुझे याद पड़ता है वो भी संघ के नही थे.
    कड़वा लिखने के लिए क्षमा चाहती हूँ पर यह जरूरी था.

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  23. आपका ब्लॉग देखने-पढ़ने का पहला अवसर है. हिन्दी ब्लोग्धारियों की अभद्र और कर्ण कटु शब्दावली पढ़-पढ़कर तंग आ चुका था. यह देख कर आशा जागी कि आपके विचार के लोग अभी पूरी ऊर्जा के साथ जीवित हैं, आपके दीर्घायु होने और इसी साहस के साथ जीवन में अग्रसर रहने की दुआएं दे सकता हूँ.
    स्नेहपूर्ण हार्दिक शुभ कामनाएं
    शैलेश ज़ैदी

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