मै कहूँगा कि छोटी सी कविता में आपने बहुत कुछ समेत लिया आगे भी ऐसी सुंदर रचनाएँ करते रहने के लिए शुभकामनाएं ये टिप्पणी संख्या दो में रेवा जी ने जिस दिल एक पुराना सा नामक कविता कि चर्चा कि है वह कहाँ मिलेगी आख़िर इतनी तारीफ़ है तो मै भी पढ़ लूँ!
वाह क्या सुंदर कविता है रौशन आखिरी लाइन बस खुश कर देती है अच्छा लिखते हो अभी तक कहीं छपी क्यों नही भेजी नही या रिजेक्ट हों गई? अगर भेजी नही है तो फ़िर भेजो तो
और अगर रिजेक्ट हो रही हो तो फ़िर से कोशिश करो इतनी सुंदर लाइने हैं पसंद तो आएँगी ही कभी ऐसे ही सुंदर लिखते रहो
क्या खूब है पार्सल भेजने वाली/वाले का इल्जाम लगा दिया बेचारे शरारती डाकिये पर अब उस भेजने वाली/वाले को भी तो कुछ कह दीजिये जिसने ऐसे शरारती डाकिये को चुना था भेजने के लिए और जिसने भेजा था पार्सल लेकिन नही साहब सारा ज्वार भाता मेरे दिल में है मगर इल्जाम ये भी चाँद के सर जन चाहिए अब इश्क इसी को तो कहते हैं बचाव उसी का जिसने दर्द दिया बहुत खूब रौशन साहब क्या सुंदर कविता लिखी है मै इतने दिनों से ब्लॉग पढ़ रही हूँ इतनी अपीलिंग कविता कभी और नही दिखी बस अगली कविता का इतंजार रहेगा और क्या कहूँ
एक चीज और "दिल एक पुराना सा .........है " कविता जिसका जिक्र ऊपर आया है कहाँ पढने को मिलेगी मेरा ख्याल है कि इस ब्लॉग का टाइटल भी उसी कविता से होगा हमें भी तो उसपर नजर डालने का मौका दीजिये रौशन साहब अगली कविता का इंतज़ार रहेगा
Hi Roushan,
जवाब देंहटाएंBahut sunder hai. Really one of your best poems.
Bilkul natural and true abhivyakti. Hindi blogjagat mein itni achhi poem main dusri baar padhi hun, aur pahli baar bhi tumhara hi padhi thee jiska title tha "Dil ek purana sa.....hai".
जवाब देंहटाएंMogembo khush hua ;-)
आप उस पार्सल को स्वीकार मत करना दोस्त
जवाब देंहटाएंवापिस लौटा देना उदासियां नहीं है गहना मेरा।
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंशरारती डाकियों से बचना
अच्छी कविता लिखी है लिखते रहें
जवाब देंहटाएंपार्सल भेजने वाले /वाली का भी अत पता रखिये ये भी शरारती होते हैं
जवाब देंहटाएंसुंदर शब्द और संयोजन
बधाई स्वीकार करें
मौसमो का डाकिया !
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति
बहुत दिन से इस तरह की संवेदनशील कविता का इंतज़ार था इस कविता को पढ़ कर लगा की इंतज़ार बुरा नही रहा
ऐसे ही लिखते रहो
good way of expression
जवाब देंहटाएंits very good poem roshan ji
i enjoyed the last line more than any thing
its really good
नीरज जी आप तो बहुत गहरी नजर रखते हैं। कभी मेरे दर पर भी नजरें इनायत फरमाइयेगा।
जवाब देंहटाएं- अविनाश वाचस्पति
मै कहूँगा कि छोटी सी कविता में आपने बहुत कुछ समेत लिया
जवाब देंहटाएंआगे भी ऐसी सुंदर रचनाएँ करते रहने के लिए शुभकामनाएं
ये टिप्पणी संख्या दो में रेवा जी ने जिस दिल एक पुराना सा नामक कविता कि चर्चा कि है वह कहाँ मिलेगी
आख़िर इतनी तारीफ़ है तो मै भी पढ़ लूँ!
बहुत दिनों बाद कोई दिल से लिखी कविता पढ़ी ..बेहद अच्छी लगी मुझे .शुक्रिया
जवाब देंहटाएंसच है एक दिल से लिखी हुयी कविता शायद आखिरी लाइन तक पहुँचने पर बरबस मुस्कराहट आ जाती है कविता के भाव को समझ लेने के चलते
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत
वाह क्या सुंदर कविता है रौशन
जवाब देंहटाएंआखिरी लाइन बस खुश कर देती है
अच्छा लिखते हो अभी तक कहीं छपी क्यों नही
भेजी नही या रिजेक्ट हों गई?
अगर भेजी नही है तो फ़िर भेजो तो
और अगर रिजेक्ट हो रही हो तो फ़िर से कोशिश करो
इतनी सुंदर लाइने हैं
पसंद तो आएँगी ही कभी
ऐसे ही सुंदर लिखते रहो
जाते जाते मुस्कुराया शरारत से
जवाब देंहटाएंवो मौसमों का डाकिया
और लिख गया मेरा नाम-पता
उदासियों के पार्सल पर।
खूबसूरत पंक्तियाँ हैं, बधाई।
जाते जाते मुस्कुराया शरारत से
जवाब देंहटाएंवो मौसमों का डाकिया
और लिख गया मेरा नाम-पता
उदासियों के पार्सल पर।
bahut khoob.....
जो उदासियों का पता लिखे पार्सल पर
जवाब देंहटाएंउसके पैन की स्याही क्यों नहीं चुकती।
रोशन भाई...शब्दों से कमाल का जादुई संसार रचा है आपने...बेहद खूबसूरत रचना...बधाई और दिल से भरपूर दाद,
जवाब देंहटाएंनीरज
जो दे रहो दाद दिल से
जवाब देंहटाएंनीरज गोस्वामी जी
निक्सोड्रम भी दे देना
दाद हटाने के लिए।
जो दे रहो दाद दिल से
जवाब देंहटाएंनीरज गोस्वामी जी
निक्सोड्रम भी दे देना
दाद हटाने के लिए।
When winter comes spring is not far behind ! so have patience the great soul -dark clouds are still with silver linings !
जवाब देंहटाएंबहुत नाइन्साफ़ी है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता
जवाब देंहटाएंक्या खूब है
जवाब देंहटाएंपार्सल भेजने वाली/वाले का इल्जाम लगा दिया बेचारे शरारती डाकिये पर
अब उस भेजने वाली/वाले को भी तो कुछ कह दीजिये जिसने ऐसे शरारती डाकिये को चुना था भेजने के लिए और जिसने भेजा था पार्सल
लेकिन नही साहब
सारा ज्वार भाता मेरे दिल में है मगर
इल्जाम ये भी चाँद के सर जन चाहिए
अब इश्क इसी को तो कहते हैं
बचाव उसी का जिसने दर्द दिया
बहुत खूब रौशन साहब क्या सुंदर कविता लिखी है
मै इतने दिनों से ब्लॉग पढ़ रही हूँ इतनी अपीलिंग कविता कभी और नही दिखी
बस अगली कविता का इतंजार रहेगा और क्या कहूँ
एक चीज और "दिल एक पुराना सा .........है " कविता जिसका जिक्र ऊपर आया है कहाँ पढने को मिलेगी
जवाब देंहटाएंमेरा ख्याल है कि इस ब्लॉग का टाइटल भी उसी कविता से होगा
हमें भी तो उसपर नजर डालने का मौका दीजिये रौशन साहब
अगली कविता का इंतज़ार रहेगा
क्या आपको ऐसा नहीं लग रहा की रचना कुछ कुछ अधूरी सी है ,एकाध लाइन जुड़ना और आवश्यक था
जवाब देंहटाएंब्रजमोहन सर शायद आप सही कह रहे हैं पर
जवाब देंहटाएंक्या यही अधूरापन ही तो नही है जो इतना अपीलिंग है ?
रौशन साहब से पूछते हैं वो बताएँगे
indeed a good poem
जवाब देंहटाएंhats of you roshan
vah kya baat hai, bhut sundar.
जवाब देंहटाएंवाह वाह कितनी कोमल अनुभूति और श्रृंगार के साथ वियोग का मार्मिक संयोग !
जवाब देंहटाएंKafi achi lagi kavita aapki,lekin itni nematon mein aapke liye udasi hi kyon!!!
जवाब देंहटाएंसशक्त भाव
जवाब देंहटाएंनिरंतरता बनाए रखें
क्या हम शामिल हो सकते हैं आपकी तारीफ़ करने वालों में!
जवाब देंहटाएंbahut khoobsoorat kavita hai
जवाब देंहटाएंgreat poem
जवाब देंहटाएंwish u happy diwali