एक घटना का पता चला है।उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती जी की सरकार ने रेल डिब्बे के कारखाने के लिए दी गई जमीन का आवंटन रद्द कर दिया है।
पता चला है कि भूमि पूजन के महज दो दिन पहले जिला अधिकारी महोदय को स्वप्न आया कि वहां के कृषकों में इस आवंटन को लेकर रोष है जो हिंसक हो सकता है।
पता नही जिलाधिकारी महोदय को यह स्वप्न इतना देर में देखने को क्यों कहा गया ।
पता नही अगर वहां मुख्यमंत्री जी को अगर को पार्क वार्क टाइप की चीज बनवानी होती तो क्या होता
सुनने में आया है कि आजकल वहां की सरकार सिर्फ़ पार्क और स्मृति उद्यान ही बनवाती है। क्षमा करें मूर्तियाँ भी लगवाती है और तहलका की माने तो जमीन पर बलात् कब्जे भी करती है
पता तो यह भी चला है कि रायबरेली के किसानो को भी अभी उस रोष कि जानकारी नही हो पायी है जो जिलाधिकारी महोदय के जरिये मुख्यमंत्री जी को हो गई।
सुनने में यह आया है कि इस तरह के रोषो का पूर्वाभास करने में सक्षम अधिकारी अब बादल पुर और गंगा तीव्र गामी राजमार्ग के लिए वास्तविक रोष में आ चुके किसानों के रोषों को कुचलते रहने के काम पर वापस चले जायेंगे।
चलिए कोई नही ये कारखाने कुछ ठीक होते भी नही आख़िर बुद्धदेब बाबु को परेशानी हुयी न
जमीन और जनता राजनीति के शतरंज की गोटियां है।
जवाब देंहटाएंदुनिया रंग रंगीली!
जवाब देंहटाएंअगर सोनिया गाँधी वहाँ अपनी मूर्ति लगवातीं, तो बहिन जी को इससे कोई आपत्ति न होती और वे सहर्ष अनुमति दे देतीं।
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