गुरुवार, 27 नवंबर 2008

हिन्दुस्तान पर हमला



मुंबई में जारी आतंकी हमले ने हम सभी देशवासियों को सकते में डाल दिया है। यह हमला संसद पर आतंकी हमले से एक कदम आगे जाता हुआ लगता है। ये हमला बताता है कि हम अंदरूनी झगडों में अपने देश की सुरक्षा भूल जा रहे हैं।
ऐसा बताया जा रहा है कि कोई छः मोटर बोटों में छब्बीस के करीब आतंकी करांची से मुंबई समुद्र के रस्ते दाखिल हुए। अगर ऐसा है तो न जाने कितने विदेशी समुद्र के रास्ते दाखिल होते होंगे और आगे भी होते रहेंगे। शायद समुद्री चौकसी को और अधिक सघन बनाना जरूरी होगा।
अभी तक मिली जानकारी के अनुसार छः विदेशियों सहित कोई 101 लोग मारे गएँ हैं जिसमे दो अमरीकी खुफिया अधिकारी भी शामिल हैं। नौ आतंकी पकड़े गए हैं जबकि चार मारे गए हैं ऐसा माना जाता है कि अभी तेरह आतंकी कुल तीन जगहों, होटल ताज और ओबेराय और छाबडा हॉउस में हैं और वहां सेना, एन एस जी और मुंबई पुलिस की कार्यवाही जारी है। ऐसा सुनने में आया है कि आतंकी होटलों में ब्रिटिश और अमरीकी पासपोर्ट धारकों को विशेष रूप से निशाना बना रहे थे इससे जाहिर होता है कि न सिर्फ़ इस घटना के तार अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से जुड़े हैं बल्कि भारत की छवि पर भी आतंकी निशाना साध रहे थे।
अभी तक नौ पुलिस कर्मी शहीद हुए हैं जिसमे एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अशोक काम्टे, मुंबई पुलिस के एनकाउंटर विशेषज्ञ विजय सालस्कर और आईपीएस सदानंद दांते शामिल हैं। पुलिस के शीर्ष अधिकारियों ने जिस प्रकार मोर्चे पर आगे रहकर कुर्बानी दी है उसे देश याद रखेगा।
विपक्ष ने राजनैतिक विरोधों को दरकिनार करते हुए प्रधानमन्त्री को सहयोग का आश्वासन दिया है प्रधान मंत्री और विपक्ष के नेता साथ साथ मुंबई दौरे पर जाने की तैयारी में हैं।
पकिस्तान के विदेशमंत्री जो भारत के दौरे पर हैं, ने कहा है कि भारत और पकिस्तान की खुफिया एजेंसियों को हॉट लाइन के जरिये संपर्क में रहना चाहिए। उनका मानना है कि दोनों साझा दुश्मन के निशाने पर हैं। वैसे 19 सितम्बर के मैरिएट होटल और मुंबई के ताजा हमलों में पैटर्न की समानता देखी जा सकती है। आतंकी हमलों की जिम्मेदारी लेने वाले दक्कन मुजाहिदीन के पाकिस्तानी बेस के होने की बात पहले से ही जाहिर है। ऐसे में अगर पकिस्तान वास्तव में गंभीर है तो उसे भारतीय जांच एजेंसियों को पकिस्तान में जांच में सहयोग देना होगा। इस मुद्दे पर पकिस्तान की प्रतिक्रिया उसकी सही मंशा बता सकेगी।
इस बीच इस हमले के लिए केन्द्र और राज्य सरकार को जवाब देना चाहिए कि तमाम हाई एलर्ट और एन एस ए के साफ़ बयान के बावजूद इतनी बड़ी घटना कैसे घट जाती है.
मुंबई में मारे गए लोगों और शहीद पुलिस कर्मियों को हमारी श्रद्धांजली !

23 टिप्‍पणियां:

  1. टाइटल में "हिन्दुस्तान" पर हमला… मतलब आप घोर साम्प्रदायिक हैं… :) बस अब सांत्वना और धैर्य बनाये रखने के अलावा बचा क्या है, ATS तो बेचारा व्यस्त था "हिन्दू आतंकवाद" से निपटने में वह कहाँ-कहाँ ध्यान देता… हो सकता है कि शाम तक किसी बड़े आतंकवादी को छोड़ दिया जाये, आखिर "अमीरों" का मामला है भई, फ़िर सारे के सारे टसुए बहाते हुए NDTV जैसे महान चैनल पर मौजूद हैं…

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  2. कौन लोग हैं? बटाला हाउस की तरह निरीह लोग तो नहीं? एक दो दिन बाद नयी थ्योरियां आने लगेंगी।

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  3. ताजा घटना पर आपकी पैनी नजर को सलाम, वैसे यह रोजमर्रा की बात हो गयी है धीरे धीरे पूरा देश जम्मू कश्मीर बन जायेगा । आज की घटना के बाद कोइ इसे आर पार की लडाइ की बात कहेगा तो कोइ दुश्मन देश को कोस लेगा। यू ही बेगुनाहो का खून बहता रहेगा ।

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  4. एक आम भारतीय जैसे आए दिन इस तरह के विस्फोट झेलने के लिए अभिशप्त हो गया है। कुछ दिन भी नही बीतते कि इस तरह के हादसों की खबरें अंदर तक हिला देती हैं....हर बार दिल चीखता है कि बस, अब और नहीं।

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  5. चिंता ना करे शाम तक अफ़जल भाई बिरयानी खा अपने देश के लिये रवाना हो जायेगे पाटिल जी पहुच रहे है सस्म्मान विदाई समारोह मे शिरकत के लिये
    सरकार सेना और संतो को आतंकवादी सिद्ध करने जैसे निहायत जरूरी काम मे अपनी सारी एजेंसियो के साथ सारी ताकत से जुटी थी ऐसे मे इस इस प्रकार के छोटे मोटे हादसे तो हो ही जाते है . बस गलती से किरेकिरे साहब वहा भी दो चार हिंदू आतंकवादी पकडने के जोश मे चले गये , और सच मे नरक गामी हो गये , सरकार को सबसे बडा धक्का तो यही है कि अब उनकी जगह कौन लेगा बाकी पकडे गये लोगो के जूस और खाने के प्रबंध को देखने सच्चर साहेब और बहुत सारे एन जी ओ तीस्ता सीतलवाड की अगुआई मे पहुच जायेगी , उनको अदालती लडाई के लिये अर्जुन सिंह सहायता कर देगे लालू जी रामविलास जी अगर कोई
    मर गया ( आतंकवादी) तो सीबीआई जांच करालेगे पर जो निर्दोष नागरिक अपने परिवार को मझधार मे छोड कर विदा हो गया उसके लिये कौन खडा होगा ?

    "हिन्दू आतंकवाद" विशेषज्ञ हेमन्त करकरे के मरने का हमे सख्त अफ़सोस है जो गलती से वहा चले गये थे

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  6. पंगेबाज
    हिंदू-मुस्लिम सोच में आपका यह भूल जाना अफसोसनाक है कि जो शहीद हुआ है वो ड्यूटी पर आतंकियों का मुकाबला करते हुए शहीद हुआ है
    बेहद शर्मनाक है अपने शहीदों के बारे में बात करने का ये रवैय्या. आपमें और मोहन चन्द्र शर्मा की शहादत पर सवाल उठाने वालों में फर्क क्या रह गया
    हमें अफ़सोस है कि आप जैसे लोग हैं हमारे देश में

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  7. मारे गए लोगों और शहीद पुलिस कर्मियों को श्रद्धांजलि
    इस समस्या का हल खोजने में राजनीति को आड़े नही आने देना चाहिए

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  8. आईये हम सब मिलकर विलाप करें

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  9. अब तो हद ही हो गयी। कुछ क्रान्तिकारी कदम उठाना चाहिए। कुछ भी...।

    अब समय आ गया है कि देश का प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को, राष्ट्रपति लालकृ्ष्ण आडवाणी को, रक्षामन्त्री कर्नल पुरोहित को, और गृहमन्त्री साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बना दिया जाय। सोनिया,मनमोहन,शिवराज पाटिल,और प्रतिभा पाटिल को अफजल गुरू व बम्बई में पकड़े गये आतंकवादियों के साथ एक ही बैरक में तिहाड़ की कालकोठरी में बन्द कर देना चाहिए। अच्छी दोस्ती निभेगी इनकी।

    इनपर रासुका भी लगा दे तो कम ही है।

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  10. अफ़सोस काहे का रोशन जी गोली मार दो मुझे , आपको तब अफ़सोस नही होता जब कोई अफ़जल के साथ खडा होता है तब अफ़सोस नही होता जब कोई गिलानी तकनीकी कारणॊ से छूट कर सरकारी सुरक्षा मे देश मे रहते हुये अपने को इस देश का नागरिक मानने से इनकार करता है तब अफ़सोस नही होता जब कोई चालाक वकील जानते हुये भी उसे देश द्रोह के मुकदमे से आजाद करा लेता है . तब अफ़सोस नहॊ होता जब देश मे ही देश के नागरिको को चौराहे पर जिंदा जला कर मार दिया जाता है तब अफ़सोस नही होता जब प्रधान मंत्री कह देता है कि बडा पेड गिरता है तो धरती हिलती है तो लोग मरते ही है , तब अफ़सोस नही होता जब बेशर्मी से एक पुलिस आफ़ीसर देश की सेना और बहुसंख्यको को बदनाम करने की अपने राजनीतिक आकाओ की इच्छा के पालन के लिये अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड कर गैर कानूनी कृत्यो को करता है तब अफ़सोस नही होता जब देशद्रोहियो के साथ खडे होने के लिये सच्चर साहब मानवा धिकार की सहायता लेकर जाते है ( ये अधिकार तो देश प्रेमियो को है ही नही ना , आप जैसे लोगो के हिसाब से , मानव तो बस आप लोग आतंकवादियो को ही मानते हो ना)
    लेकिन अब आप को मेरे भारत वासी होने पर अफ़सोस है या प्राणि होने पर कब और कहा आप एटी एस से मेरा एनकाऊटर कराना चाहते है बताये मै खुद आ जाऊंगा . आखिर बाकी भी हिंदू (आपके हिसाब से तथाकथित आतंकवादी )भी आपके ए टी एस के बुलावे पर चले गये थे ना. मै आपको मेल पर अपना पता भेज रहा हू तोप से उडवा दीजीये मुझे और मेरे परिवार को , बस आपको मरे भारत भूमी मे पैदा होने और रहने पर अफ़सोस नही होना चाहिये जी

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  11. पगेबाज साहब चाहे तकनीकि कारणों से गिलानी छूटे या सावरकर दोनों अदालत से बरी हुए हैं और अदालती फैसले का तो सम्मान किया जा सकता है?
    जब जिस चीज की बात आती है तो अगर ग़लत हुआ है तो अफ़सोस होता ही है. हम मानते हैं कि न्याय का पक्ष लेना अधिक अच्छा होता है .
    रही बात ए टी एस पर आपके आरोपों कि तो मामला अब कोर्ट में पहुँचा है अगर आरोपी दोषी होंगे तो भी न्याय होगा निर्दोष होंगे तो भी. सिर्फ़ मीडिया से मिली जानकारी के आधार पर किसी को दोषी या निर्दोष मान लेना अविवेकपूर्ण कार्यवाही है
    आप जारी रख सकते हैं पर हमें मीडिया के इशारों पर नाचने के बजाय सच के साथ चलना ज्यादा पसंद है
    और हाँ एन्कोउन्टर में मरवाने की बात जहाँ तक है तो हम मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या और कोई ताकतवर प्राणी नही हैं कि किसी को भी मरवाते फिरें
    हाँ जब ऐसे मानसिकता वाले लोग होते हैं जो शहीदों का सम्मान नही कर सकते तो उनके अपने देश में पैदा होने पर अफ़सोस तो होता ही है पर यह अफ़सोस हमारा निजी मामला है

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  12. निजी मामला है तो अपने तक रखे किसी के बारे अपनी राय रखना अपने ब्लोग पर हमारा भी निजी मामला है , आपकी निजता निजता है और हमारी ? इसी प्रकार के आदमी को दोगला कहा जाता है श्रीमान , हमने तो आपने होने ना होने पर अफ़सोस नही किया पर आप श्रीमान खुद ही सोचे की आप कब कहा क्या कह रहे है .खुदा आपको अकल से नवाजे आमीन

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  13. जो व्यक्ति अपने कर्तव्यों के निर्वाहन में लापरवाह सिद्ध हुआ हो. जिसे अक्षम मान कर रॉ से बाहर निकाल कर हर प्रकार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया. जिसे यूरोपीय देश में साईड पोस्टिंग पर डाल दिया गया हो. उसे उसको अपने राजनैतिक फायदों के लिये एटीएस जैसी संस्था का प्रमुख नियुक्त कर देना देश के प्रति देशद्रोह से कम नहीं है. इंडियन मुजाहिदीन ने सितम्बर में ही एटीएस को मुम्बई हमले के बारे में ई-मेल भेज दी थी.

    यदि किसी आदमी ने अपने देश के लिये अपने कर्तव्यों का निर्वाह ठीक से नहीं किया उसको सिर्फ इसीलिये माफ न कर दिया जाय कि वह मर गया है.

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  14. विपक्ष ने नेता आडवानी जी ने प्रधानमंत्री को फोन करके अपनी एकजुटता दिखायी. प्रधानमंत्री ने आडवानी जी को मुम्बई साथ साथ चलने के लिये कहा जिसे आडवानी जी ने स्वीकार कर लिया.

    बाद में कांग्रेसियों ने कहा कि यदि आडवानी मनमोहन के साथ जायेंगे तो मुसलमानों में गलत संदेश जायेगा इसलिये मनमोहन ने मना कर दिया.

    ये है कांग्रेसी एकजुटता.

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  15. श्श्श्श्श्श्श्श्श्श, हमारे यहाँ मृतात्माओं के खिलाफ़ बोलने का "रिवाज" नहीं है… हमेशा उनका सम्मान ही किया जाना चाहिये… चाहे वे कोई भी हों, कैसे भी हों… वह तो भला हुआ कि वीपी सिंह "मुम्बई हमलों की गुमनामी" में ही स्वर्गवासी हो गये, वरना मीडिया ने एक बार फ़िर से "मंडल राग" छेड़ा होता तीन-चार दिन तक, और हजारों लोगों के दिलों के ज़ख्म हरे कर दिये होते… लेकिन श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श मरे हुए लोगों के बारे में बुरा-बुरा नहीं बोलते बेटा, पाप पड़ता है…

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  16. कोई खुदा के लिये इस गधे को समझाओ की वीर सावरकर को अग्रेजो ने कालापानी की सजादी थी. देश के स्वतंत्रता संग्राम मे भाग लेने के लिये .
    और गिलानी छूट गया था संसद पर हमला करने के आरोप से

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  17. महोदय,

    24 घन्‍टे में आपके ब्‍लाग पर दूसरी बार आना हुआ, आपका लेख पर मै कुछ नही कहना चाहूँगा किन्‍तु आपने सावरकर जी और अफजल को एक श्रेणी में रख कर अपनी दूषित मानसिकता का परिचय दे दिया। कल के लेख पर मेरी टिप्‍पणी के एवज में आपका ईमेल मुझे प्राप्‍त हुआ कि शहीद को अपमानित नही किया जाना चाहिये। किन्‍तु आज आप देशभक्‍त के मामले में कुछ और कह रहे है, देश भक्ति कोई नेहरू और गांधी की जागीर नही है, नेहरू ने इस देश मे जितनी बेहायायी फैलाई थी वो जग जहिर है, माउंटवेटन की औरत एडविना से इश्‍क फरमाने हमारे चचा जान ब्रिटेन के प्राय: दौरे करते थे, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री ने तो हद ही कर दी, लोकलाज को भी नही ध्यान नही रखा। नेहरू ने सिर्फ पैसो के बल पर देश की सत्‍ता पाई, नेहरू और तो वीर सावरकर के पैर की घूल भी नही टिकते।

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  18. नेता तक चुनने की समझ नही है, टेररिज़म से लड़ना तो बहुत बड़ी बात है. सोनिया गाँधी कॉंग्रेस मे आतीं हैं , और हम उनको अगला प्रधानमंत्री बताने लगते हैं.
    राहुल बाबा कॉंग्रेस मे आते हैं और जनता प्रधानमंत्री की कुर्सी से नीचे बात नही करती. कैसे? क्या देखकर PM बना दें? गाँधी फॅमिली से हैं इसलिए. कॉंग्रेस मे कई ऐसे नेता हैं जो 20-25 साल से काम कर रहे हैं, लेकिन नही, राहुल गाँधी!!

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  19. महाशक्ति भाई दुबारा आने के लिए शुक्रिया सावरकर और अफजल को एकसाथ रखा हो ऐसा हमें याद नही पड़ता शायद आप गिलानी से अफजल की बात समझ बैठे
    गिलानी और सावरकर एक श्रेणी में इसलिए आते हैं क्योंकि दोनों अदालत से एक संगीन अपराध के आरोप से मुक्त हुए थे
    सावरकर के दोष और भी हैं कालापानी जाने से पहले की उनकी बहादुरी को हम सलाम करते हैं पर कालापानी से वो वापस कैसे आए ये भी तो देखना होगा?
    ये भी देखना होगा कि आजादी से तुंरत पहले वो देश की बागडोर किसे सौपें जाने की वकालत कर रहे थे ?
    वैसे नेहरू के बारे में आपके आरोपों को भी ध्यान दिया जा सकता है कभी नेहरू के इस आचरण पर भी लिखेंगे
    शाश्वत भाई कांग्रेस किसे नेता बनाये किसे नही ये उसका मामला है आपको उसके नेता नही पसंद हैं तो उस पार्टी को हरा दीजिये
    चिप्लुकर साहब सभी के बारे में खुल कर बोलिए बस जरा तार्किक होकर किसी की किसी काम के लिए बुरे हो सकती है तो किसी काम के लिए तारीफ जैसे हम सावरकर की तारीफ और बुरे साथ कर सकते हैं

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  20. रोशन भाई शायद आपने मेरा कॉमेंट ठीक से नही पढ़ा, मुझे कॉंग्रेस से कोई शिकवा नही, किसी को भी नेता चुने, मुझे दिक्कत उन लोगों और उनकी सोच से है, जो सोनिया और राहुल को अगला प्रधानमंत्री समझने लगते हैं, सिर्फ़ इसलिए की वो गाँधी परिवार से ताल्लुक रखते हैं.

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  21. शाश्वत भाई कांग्रेस और उसके नेता गाँधी परिवार के लोगों को इस लायक मानते हैं ये उनकी अपनी सोच है अगर हमें लगता है कि उनकी ये सोच ग़लत है तो हमें या तो कांग्रेस के नेताओं को ही बदलना होगा या फ़िर कांग्रेस को सत्ता से बाहर करना होगा
    कांग्रेस के नेताओं को तो हम बदल नही सकते क्योंकि उनका अपना सोचने का ढंग है
    हमारी सोच है कि जनता को राहुल या सोनिया को उनकी प्रतिभा के अनुसार देखना चाहिए न कि गाँधी परिवार के सदस्य के चलते. अगर वो अयोग्य मालूम होते हैं तो उन्हें हटाने के लिए कंग्रेस को ही तो हटाना होगा ? कोई पार्टी अपने नेताओं से जानी जाती है अगर हम उस पार्टी के नेताओं को नही पसंद करते तो हमें उसे हटाना ही होगा न?

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