गुरुवार, 27 नवंबर 2008

शहीद नरकगामी नही होते !

आज सुबह से मुंबई पर हमले की ख़बर देख देख कर वैसे ही बुरा महसूस हो रहा था हमने सोचा कि थोड़ाइन्टरनेट पर भी चीजें देख ली जाएँ। हिन्दी ब्लोग्स पर लोगों का इस घटना पर क्षोभ नजर रहा था। पर एकचीज देख कर दिल और दुखी हो आया


जहाँ एक ओर देश के राजनीतिज्ञों ने इस मामले पर एकजुटता कि वकालत कीहै वहीँ इस मामले पर कुछब्लोगर्स की प्रतिक्रिया कष्ट देने वाली रही। ऐसी प्रतिक्रियाओं को देख कर मन यही पूछता है कि ऐसेबंटवारे वाले समाज के लिए कहाँ सम्भव है आतंकवाद से लड़
पाना।


एक साहब सुबह से घूम घूम कर हर ब्लॉग पर जहाँ मुंबई पर हमलों की चर्चा की गई है वहां एक टिप्पणी डाले जा रहें हैं उस टिप्पणी के कुछ अंश तो देखिये


"बस गलती से किरेकिरे साहब वहा भी दो चार हिंदू आतंकवादी पकडने के जोश मे चले गये , और सच मे नरक गामी हो गये"


क्या कहें इस सोच के मालिकों को ?


इन साहब को हेमंत करकरे की अगुवाई वाली टी एस द्वारा प्रज्ञाओं और दयानंदों पर की जा रही कार्यवाही पर क्षोभ था शायद. ऐसा गुस्सा होना कोई ग़लत नही है . हमारी पुलिस दूध की धुली नही है कई बार उसके कार्य अनुचित पाये जाते हैं । वो मसला कोर्ट के जिम्मे है और कोर्ट देखेगी कि कौन दोषी है कौन नही





पर इस गुस्से में एक शहीद का अपमान कहाँ तक सही है?




मुंबई पुलिस ने अभी तक इस घटना में बहादुरी पूर्वक कार्यवाही की है। पुलिस के शीर्ष अधिकारियों ने आगे आकर कारवाही का नेतृत्व करते हुए अपने प्राणों की बलि दी है। इस जज्बे की सराहना होनी चाहिए .



करकरे साहब की बात करें तो सी एस टी पर जमा आतंकियों पर हमले का उन्होंने ख़ुद आगे बढ़ कर मुकाबला किया वो वरिष्ठ अधिकारी थे और पीछे से आदेश देते रह सकते थे लेकिन उन्होंने अपने जवानों के सामने एक उच्च आदर्श पेश किया। इस जज्बे का सम्मान किया जाना चाहिए. कुछ भाई लोगों ने लिख दिया है कि करकरे साहब हीरो बनने के चक्कर में मारे गए. तो उनसे हम पूछना चाहेंगे कि दिल मागे मोर की शैली में दुश्मन से लड़ जाने वाले विक्रम बत्रा के बारे में भी वो यही ख्याल रखते हैं? सीमाओं पर मारे जाने वाले हर बड़े अधिकारी के बारे में वो यही ख्याल रखते हैं?




क्यों सिर्फ़ करकरे की ही शहादत का मजाक बनाया जा रहा है क्यों अशोक कामते, सदानंद दांते और विजय सालस्कर की चर्चा नही हुई ?



हिंदू-मुस्लिम सोच में यह भूल जाना अफसोसनाक है कि जो शहीद हुआ है वो ड्यूटी पर आतंकियों का मुकाबला करते हुए शहीद हुआ है बेहद शर्मनाक है अपने शहीदों के बारे में बात करने का ये रवैय्या.


इन लोगों और मोहन चन्द्र शर्मा की शहादत पर सवाल उठाने वालों में फर्क क्या रह गया ?
एक भाई की सोच है कि करकरे को सिर्फ़ हिंदू आतंकवाद में ही महारत हासिल थी. अब उन्हें क्या पता किकरकरे एक वरिष्ठ आई पी एस अधिकारी थे और रा जैसी संस्था में काम कर चुके थे. उनके पिछले रिकॉर्ड काफ़ीअच्छे रहे थे. खैर जब इन भाई की सोच मालेगांव से आगे जा पाती तब !

जब समाज के चंद स्वयंभू ठेकेदार शहीद होने वाले पर इस तरह मजाक उडाने सा रवैय्या अपनायेंगे तो फ़िर कब तक जान पर खेल कर यूँ लड़ते रहेंगे। हमें बेहद अफ़सोस है अपने समाज के इस बँटवारे पर



इस तरह तो हो चुका आतंक का मुकाबला.



हमें बेहद अफ़सोस है !
हाँ इतना स्पष्ट कर दें कि शहीद नरकगामी नही होते !

53 टिप्‍पणियां:

  1. एक दिन हम सब सिर्फ़ और सिर्फ़ हिन्दी ब्लॉग पर अपना सम्मिलित आक्रोश व्यक्त करे ।
    http://mypoemsmyemotions.blogspot.com/2008/11/blog-post_27.html

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  2. वाह बहुत सशक्त रचना. मेरी बधाई स्वीकार करें.

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  3. सहमत की यहां पर हेमन्त करकरे एक शहीद हैं
    लेकिन इस बात से असहमति कि उनका रॉ मे रिकार्ड शानदार रहा है. बल्कि हकीकत ये है कि कन्धार अपहरण कांड के बारे में पहले से सूचना प्राप्त होने के बाबजूद उन्होंने कोई कदम नहीं उठाये इसके लिये उन पर कार्यवाही होने वाली थी लेकिन बच गये और इसके बाद उन्हें रॉ से चलता कर दिया गया था.

    लेकिन फिर भी यहां पर तो वह एक शहीद ही हैं.

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  4. शहीद नरकगामी नही होते लेकिन इस तरह की सोच रखने वाले अपने देश और समाज के शत्रु जरूर होते हैं. जहाँ एक तरफ़ बहादुर सिपाही जान दे कर रक्षा करते हैं वहीँ ये निठल्ले मजाक बनाते हैं
    शर्म आनी चाहिए इन्हे

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  5. श्रीमान हेमंत करकरे कंधार विमान अपहरण कांड के दौरान रिसर्च एण्ड एनेल्सिस विंग (रॉ) में तैना थे. कंधार विमान अपहरण काण्ड के पूर्व अमेरीकी जांच एजंसी एफबीआई ने भारतीय नोडल एजंसी को कुछ संदिग्धों के बारे में टिप दी थी. उस समय रॉ और पुलिस के बीच समन्वय का जिम्मा श्रीमान करकरे के ही पास था. भारतीय एजंसियों ने एफबीआई की टिप के बाद भी उन टेलीफोन काल्स को ठीक से मानीटर नहीं किये.

    नतीजा हुआ कि कंधार विमान अपहरण काण्ड हो गया. जब आईसी-१८४ अपहृत हो गया तो मानीटरिंग में एफबीआई ने पाया कि उन्होंने भारतीय एजंसियों को जिन संदिग्ध नंबरों को मानीटर करने के बारे में सुझाया था उसी से कंधार के अपहरणकर्ताओं की नियमित बातचीत हो रही है. एफबीआई ने जब यह जानकारी भारतीय एजंसियों को दी तो खलबली मच गयी. तत्कालीन पुलिस उपायुक्त प्रदीप सावंत के नेतृत्व में अपराध अन्वेषण ब्यूरो के अफसरों ने उस मोबाईल फोन का लोकेशन ट्रेस किया और छापा मारकर आतंकवादियों के सहयोगियों को मुंबई के जोगेश्वरी पश्चिम की एक मुस्लिम बस्ती से गिरफ्तार कर लिया.

    विमान अपहरणकाण्ड के कुछ दिनों बाद रॉ हेमंत करकरे को जिम्मेदारी ठीक से न निभा पाने का दोषी मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी. हालांकि करकरे किसी तरह कार्रवाई से बच गये लेकिन उन्हें हर प्रकार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया. उन्हें यूरोपीय देश में साईड पोस्टिंग पर डाल िदया गया. जब वे महाराष्ट्र काडर में वापस लौटे तो लंबे समय तक उन्हें किसी महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त नहीं किया गया.


    निम्न लिंक देखिये
    http://www.visfot.com/index.php?news=524

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  6. kaand ke peechhe hindoo aur rss ka haath ho sakta hai, kuchh dinon baad koi neta yah statement dene wala hai

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  7. सोच का क्‍या है भाई, वह कभी नहीं बदलती।

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  8. बेनामी जी कृपया लिंक जांच लें ये खुल नही रहा है आप इससे सम्बंधित जानकारी हमें मेल कर सकते हैं अगर रूचि रखते हों तो.
    हाँ अगर आपकी बात सही भी मान ली जाय तब भी करकरे साहब की शहादत का मजाक बनने का अधिकार चिट्ठाकारों को नही मिल जाता है हमारा मत है आप इससे तो सहमत होंगे

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  9. मेरे दोस्त ये मै ही हू आप नाम भी ले सकते थे पर आपने नही लिया धन्यवाद
    प्रिय बंधू जो आदमी अपने राजनीतिक आकाओ को खुश करने के लिये देश मे आग लगाने के काम कर रहा हो , जो अपनी नौकरी के प्रति अपने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी से ज्यादा अपने आकाओ को खुश करने के लिये इस देश मे लोगो को भडका कर देश को देश की सेना को पूरे विश्व मे बदनाम करने मे लगा हो , उसके प्रति आपके दिल मे हमदर्दी दर्द हो सकता है मेरे नही . जो पूरे विश्व मे हिंदू धर्म को आतंकवादी भारतीय सेना के लिये जीवन देने वालो लोगो को आतंकवादी घोषित करने का कुत्सित षडयंत्र रच रहा हो वो मेरे लिये नरक गामी ही होगा. जो अपनी मातृ भूमी के षडयंत्र कारियो इन नेताओ के हाथ का खिलोना बन कर खेल रहा हो वो मेरे लिये हमेशा ही त्याज्य रहेगा . और वह वहा मरा भी शायद अपने इसी खेल मे होगा , बाकी सभी शहीद पुलिस कर्मियो और नागरिको को मेरी अश्रु पूर्ण श्रद्धांजली

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  10. ek shahid ka majak bnane vale ko narak men bhi jagah nahin milegi.

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  11. sahi hai
    narak to pahale se hi atankvadiyon se full ho chuka hoga

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  12. aur unke baare mein kya khyal hai.. jo inspector sharma ki shahadat par sawaliya nishan utha rahe the?? tab kisi ka khoon kyo nahi khaula???

    ek hindu ki tippani par hi bawal mach sakta hai.. yahi baat kisi muslim ne likhi hoti. to koi kuch nahi kahta..

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  13. बटाला कांड में क्‍यों शहीद-शहीद नही रहा, क्‍योकि राजनीतियों ने शहीद होने की घोषणा नही की, क्‍योकि वह वहॉं मुस्लिम परस्त जो बनना था, यहॉं अगर हिन्‍दू को जोड़ कर नकरगामी कह दिया गया तो महोदय के जियरा में सॉप लोट गया। इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा को शहीद कहने पर कांग्रेस सरकार को शर्म आती है।

    ऐसे से लोग है, मुस्लिम होने पर शहीद का दर्जा नही दिया जायेगा, ऐसी चोचली नीतियॉं कब तक चलेगी ? 'शहीद इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा भी किसी के बेटे थे, किसी के पति थे और किसी के पिता भी, उनके परिवार वालो को कोई गद्दार का परिवार कहेगा तो कहॉं तक अच्‍छा लगेगा ?

    शहीद कोई भी हो शहीद को शहीदो जैसा सम्‍मान मिलना चाहिये।

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  14. संकट की इस स्थिति में बहुत साहस, एकजुटता और परिपक्वता की ज़रूरत है.

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  15. प्रभु, अरुण पंगेबाज जैसों को क्षमा करे!वे नही जानते कि वे क्या समझ पाते हैं ।
    रौशन, तकाल इतनी स्पष्टता से बात रख सके । अच्छा लगा।

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  16. महाशक्ति जी हमने अपनी पोस्ट में ही इंस्पेक्टर शर्मा की शहादत पर ऊँगली उठाने वालों और हेमंत करकरे का मजाक बनाने वालों को एक साथ रखा था .
    हम आपके द्वारा कही गई बात ही उठा रहे थे कि शहीद को पर्याप्त सम्मान मिलना ही चाहिए.
    स्मार्ट इंडियन भाई ने उचित ही कहा है कि इस घड़ी में बहुत साहस और एकजुटता की जरुरत है.
    और पंगेबाज भाई जो काम कोर्ट का है (दोषी और निर्दोष ठहराने का ) उसे आप या हम हाथ में लेते है तो ग़लत ही होगा. हमें कष्ट है आप इस देश की चीजों से ख़ुद को नही जोड़ सकते बल्कि अपनी बनाई मानसिकताओं से जोड़ रहे हैं.
    बाकियों को भी श्रद्धांजली का कष्ट रहने दीजिये. कड़वा लिखने के लिए हम क्षमाप्रार्थी हैं पर जो कल रात से चल रहा है वो क्या कम था जो इस मानसिकता को भी सुने ?

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  17. आईये हम सब मिलकर विलाप करें

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  18. शर्म आती है खुद पर, आप पर...हम सभी भारतीयों पर क्योंकि हम अपने शहीदों की इज्जत नहीं कर पाते । बाटला हाऊस में शहीद हुए इंसान ( जी हाँ हमारी इंसानियत तो खत्म हो गई लगती है) और कल हौंसला दिखाते हुए शहीद हुए तीनों इंसानों को मेरी तरफ से श्रद्धांजली...। यदि हम अपने शहीदों का सम्मान करना नहीं सीखेंगे तो यूँ ही हर बार आतंकवादियों से मात खाते रहेंगे...। प्लीज वेक अप गाइज...ये वक्त एकजुट होकर निर्लज्ज आतंवादियों का दमन करने का है।

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  19. रोशन, आपने सही लिखा किसी की शहादत का मजाक यूँ नही उड़ाना चाहिये,

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  20. आप सही कह रहे है.शहादत पर कोई सवाल नही उठने चाहिये चाहे वो शहीद हेमँत करकरे हो या मोहन चँद शर्मा.शहीद शहीद होते है और उनका सम्मान होना चाहिये.

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  21. अब मोहन चंद्र शर्मा की याद आई जब कोई सोनिया-देशमुख का एजेंट नरक चला गया. उससे पहले तो अपने ब्लॉग पर इस बारे में कुछ नहीं लिखा. तुम्हे दर्द तभी होता है जब कोई मुस्लिम, मुस्लिम परस्त सेक्यूलर या उनका एजेंट मरता है. हिंदू तो कीडे मकोडे हैं, वो मरते भी रहें तो क्या फर्क पड़ता है

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  22. तो मुझे किसी को श्रद्धांजली देने या किसी की नुक्ता चीनी करने का हक रोशन लाल जी के रोशन ख्यालो मे झाक कर लेना पडेगा , या अफ़लातून जी मेरे लिये खुदा इनको माफ़ करे कहलवाना पडेगा. कमाल है ? हम कहे तो गुनाह आप दोनो अपने रोशन ख्याल जाहिर करे तो सत्य वचन ? एक आदमी अपनी ड्यूटी से ज्यादा चमचागिरी कर देश मे आग लगाने के काम कर रहा हो तो हम उसकी आलोचना भी नही करे . जो लगातार इस प्रकार के कार्य कर देश को पहले ही नुकसान पहुचा चुका हो एक सरकार उसे सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने फ़ायदे के लिये प्रयोग करे . जो उस्का काम था आतंकवादियो के बारे मे जानकारी हासिल करे उनसे आम नागरिक के जीवन को सुरक्षा मुहया कराये वो उसमे फ़ेल ? काहे की वो तो अफ़लातून जी और रोशन लाल , माननीय सच्चर जी महाड्रामेबाज मोमबत्ती ब्रिगेड के महानायक कुलदीप नय्यर जी भट्ट महोदय के विचारो के साथ हिंदुओ को आतंकवादी घोषित करने की महान योजना को मूर्त रूप दे रहा था. इसलिये ? काहे नही भाइ अब आप भी अपने ब्लोग पर ही सही घोषणा कर देते कि मुंबई कांड मे हिंदुओ के मुस्लमानो का नाम लेकर हमला किया और किरकिरे साहब की हत्या करदी . इसमे मरने वालो आतंकवादियो के मानवाधिकार के लिये भी महेश भट्ट की आवाज मे शामिल हो जाईये जनाब आप भी कहिये सेना ने गलत किया इनको समझाना था . इन रास्ता भटके नौजवानो से प्यार से पेश आना था अफ़जल के साथ इनको भी जूस के ग्लास और बिरयानी भीजवानी थी जनाब . ये आदमी अगर हिंदू कौम को बदनाम करने की कुत्सित कोशिश कर रहा था तो हमतो इसके विरूध हॊ रहेगे लेकिन आप बताये आप कानून को मानते है तो जिस कानून मे गांधी की हत्या की जिम्मेदार आर एस एस को मानने से मना कर दिया था बरी कर दिया था .फ़लातून जी एंव रोशन लाल जी ध्यान दीजीये " बरी कर दिया था" ाप आज भी अकसर आर एस एस को गांधी का हत्यारा बताने की डफ़ली क्यो बजाते रहते है . आप काहे उसी कोर्ट जिसकी आप दुहाई दे रहे है कि बात नही मान पा रहे . महोदय पहले खुद को सुधारिये पहले अपने अंदर झाकिये पहले खुद का ये दोगला पन दूर कीजीये फ़िर मुंह खोलीये जनाब .

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  23. मेरा ब्लोग पढ ले पता चल जायेगा शहीद मोहन चंद शर्मा को मै आज याद नही कर रहा हूं,

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  24. शहादत की Definition क्या है? कोई भी सिर्फ मरने से शहीद नहीं बनता. शहीद बनने के लिये जज़्बा भी होना चाहिये. हेमन्त करकरे की मृत्यु हुई है, जो कि यकीनन दुखदेय है, जैसे कि आतंकी हमले में किसी की भी मृत्यु दुखदेय है. लेकिन कहीं न कहीं हेमंत करकरे देश के प्रति अपनी ज़िम्मेदारीयां निभाने में असफल रहे. चाहे वह कंधार का केस हो, चाहे प्रज्ञा ठाकुर का, या फिर इस ताजे मामले में अदूरदर्शिता के परिचय का, वो कहीं भी अपने कर्तव्य को ठीक ढंग से नहीं निभा पाये.

    उन्होंने जोड़-तोड़ या संबंधों के चलते जरूर अच्छी पोस्टिंग्स हासिल कीं, लेकिन उनको निभाने लायक संकल्पशक्ति का उनमें अभाव था.

    एटीएस के चीफ के तौर पर भी उन्हें खुद को टीवी पर हेल्मेट, जैकेट आदी पहनते हुये दिखलाना अक्लमंदी लगा. वो यह न सोच सके की आतंकवादी भी टीवी देख रहे हैं, और उन्हें जवानों के हर कार्य-कलाप की जानकारी मिल रही थी. तो फिर इसी गलती के वो खुद भी शिकार हुये, और कुछ और जवान भी. क्यों सबसे पहले उन्होंने चैनलों को नहीं हटाया (जो कि कल रात हुआ).

    अब वो मर चुके हैं तो हम उन्हें शहीद के तौर पर याद करें, ये तो इमोशनल रूप से बेहतर होगा. लेकिन प्रेक्टिकल तौर पर यह भी याद रखना बेहतर होगा की Anti-terrorism Squad एक महत्वपूर्ण संगठन है. इसके लिये रूलिंग पार्टी के दोस्त नहीं, आतंकवादियों के दुश्मन को लाने की जरुरत है.

    अगर हेमंत करकरे जी की शहादत पर जो मैंने सवाल उठायें हैं, उनसे आप को दुख पहुंचे तो मुझे माफ करें. लेकिन यह जरूरी है, क्योंकि हेमंत करकरे आखिरी व्यक्ति नहीं होंगे जो आतंकवाद के चलते मरे, और आगे आने वाले वक्त में एटीएस जैसे संगठनों को मजबूत करने की जरुरत है, कमजोर लीडर्स को सौंपकर कमजोर करने की नहीं.

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  25. जिस आदमी ने अपने देश के लिये अपने कर्तव्यों का निर्वाह ठीक से नहीं किया उसको सिर्फ इसीलिये माफ न कर दिया जाय कि वह मर गया है.

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  26. कमियों को भुलाने को कौन कह रहा है कमियों पर प्रहार और उसका प्रतिकार जारी रह सकता है और शहीद के रूप में सम्मान भी

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  27. लेकिन आपको तो हमारे होने पर ही अफ़सोस है श्रीमान ? तोप से उडवा दो हमे ताकी कोई आपकी सेकुलरता के बीच मे ना आये

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  28. अरे नही भाई अपने देशवासियों को सिर्फ़ वैचारिक भिन्नता के आधार पर तोप से नही उडाया जा सकता है
    वैसे भी आपकी इच्छाएं हम क्यों पूरी करें? आप को ग्लानी हो रही हो तो बस जिस किसी की पूजा करते हों उसके सामने सर झुका लीजिये मन को शान्ति मिलेगी

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  29. कौन शहीद है और कौन नही इस बात को तो समय और आम लोगों की समझ पर ही छोड़ दे तो अच्छा है. हमारे अपने विचार है और इन्हे अभिव्यक्त कराने का हक़ भी हमें है. जहा तक करकरे साहब की बात करे तो एटीएस द्वारा मालेगावं घटना को किस प्रकार हिंदू आतंकवाद में तब्दील किया गया, इसे आप ख़ुद कुछ दिनों में जन जायेंगे. और सत्ता के इशारे पर कम कराने वोलों को आलोचना सहनी ही पड़ती है. किसी के द्वारा किया गया एक ग़लत कार्य उसके सरे कीर्ति पर दाग लगा जाती है. माना कि मुंबई की घटना में करकरे साहब ने वीरता का कार्य किया और ख़ुद आगे बढ़ कर नेतृत्व किया परन्तु जहा वे ग़लत थे, वे ग़लत ही रहेंगे... वैसे ये आजकल फैशन में है की हिंदू और हिंदू विचारधाराओ के पैरोकारों की जमकर आलोचना की जाए और इस आधार पर ख़ुद को सेकुलेर सिद्ध किया जाए. सब कर रहे है. आप भी प्रज्ञाओ और दयानान्दो के बहाने यही कर रहे है...

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  30. रोशन लाल जी दिखा दी ना अपनी घटियापन की हरकते
    हमे कोई ग्लानी नही है
    और आपको हो नही सकती गिलानी के साथ खडे होने मे
    ना ही हम आपके कहे से अफ़जल और गिलानी के साथ खडे हो सकते
    मेल ना करे दिल के उदगार गुबार धटिया मानसिकता यही दिखाये सेकुलर जी

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  31. @पंगेबाज,अदालत से परे नागपुर में संघ मुख्यालय में लम्बे समय नाथूराम गोडसे का स्मारक बना रहा जिसमें कहा गया था - "अवसर आया तो बेहतर स्मारक बनायेंगे" ।

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  32. अफ़लातून जी अफ़जल और गिलानी नाम के जिंदा स्मारको के बारे मे भी ख्याल जाहिर कर ही दीजीये जनाब.गोडसे तो फ़िर भी अपनी समझ मे अपने देश के लिये भला कर रहा था . पर ये दोनो बंदे भारत के लिये क्या महान काम कर रहे थे इस बारे मे आप भी अपने रोशन ख्याल जाहिर कर सकते है

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  33. हा माफ़ कीजीये मै भूल गया था कानून और कोर्ट की इज्जत करने वाले महारथी जी आपने अपने उदगार आर एस एस के बारे मे कोर्ट के हिसाब से क्यो नही रखे जी.
    वैसे अगर मेरे सामने कोई किसी की हत्या करदे और कोर्ट से वकीलो के दाव पेचो के कारण , हमारी न्यायपालिका मे सरकार द्वारा मुकदमा हत्यारे के खिलाफ़ ढंग से या जान बूझ कर उसको बरी कराने के लिये पेश किया जाये , और वो छूट जाये तो मै तो उसे तब भी अपराधी ही मानूगा. आप बजाते रहिये सेकुलरता की बीन .
    आपकी जानकारी के लिये गोवा मे मंत्री के बेटे द्वारा बलात्कार का मामला . कुछ समझे जनाब ? वैसे आपको सम्झाने से क्या फ़ायदा वैसे एक मुहावार भी है सावन के अंधे को हरा ही हरा नजर आता है

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  34. देवदास गांधी ने राष्ट्रपति से गोड़से को प्राणदान की अपील की थी। मैं उसूलन मृत्यु दण्ड के खिलाफ़ हूँ ।

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  35. जो सैनिक अभी अभी दो लोगो की हत्या बेमतल कर गया हो , अचानक दुशमनो से युद्ध मे मर जाये तो उसका हत्या का पाप धुल जायेगा ? तब आप देखेगे की अगर उसने अल्पसंख्यको को मारा हो तो पापी ? बहुसंख्यको को मारा हो तो माफ़ी ? यही है ना आपका सेकुलर तरीका ? और किसी के जीवन को दागदार करना उसको न्याय पालिका के न्याय से पहले मीडीया के जरिये उसकी सामाजिक जीवन की हत्या करना , मानहानी करना किसी हत्या से कम नही है बंदा परवर लेकिन यहा भी आपकी सोच सेकुलर है आपके हिसाब से हिंदू तो मानव ही नही है ना परवर दिगारे आलम, जिल्ले सूभानी , मुंबई मे पकडे गये आतंकवादीयो के लिये बनाईये बिरयानी.
    अरे माफ़ किजीये अभी तो जो लोग पकडेऔर मारेगये है जब तक कोर्ट नही कह देता आपकी नजर मे वो आतंकवादी नही भॊले बालक है जॊ दूध पीते पीते मुंबई चले आये थे और खेल खेल मे बंदूक चला दी उन्हे पता ही नही था कि इससे गोलिया निकलती है. लेकिन्हमे अब भी अफ़सोस नही है आपके भारतीय होने पर . अगर हम अफ़सोस करने लगेगे तो जनाब लालू रामविलास मुलायम अमरसिंह , लाला रोशन लाल रहने ही दीजीये बहुत लंबी लिस्ट पर अफ़सोस जताना पडेगा

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  36. आपकी वाली हाफ पैन्टी देश भक्तों की सूची में कोई अंग्रेजों से लड़ने वाला? संघ की स्थापना से पहले एक बार हेगड़ेवार जेल गये थे,वह मत गिनाना। 'हिन्दू' सैन्यीकरण के लिए अंग्रेजों की फौज में जांए यह आवाहन करने वाले जरूर हैं आपकी सूची में-राष्ट्रतोड़क राष्ट्रवादी।

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  37. आप आज तक अपनी पार्टी के उद्धारक बन नही पाये, जिनता बुद्धि संघ को गरियाने में खर्च करते है, उसका एक प्रतिशत भी समाजवाद के प्रचार में खर्च करते तो आपकी जनपरिषद का प्रत्‍यशी की कम कम जमानत तो जब्‍त होती, यह स्थिति तो उस प्रदेश की है जहॉं के आप प्रदेश अध्‍यक्ष है, पता नही आपकी पार्टी को पॉंच राज्‍यों में हो रहे चुनाव के लिये प्रत्‍याशी मिले है कि नही ? नही मिले तो अच्‍छा ही है नही तो बची खुची इज्जत भी धुल जायेगी। वैसे अनुदान और फंड बटोरने के लिये राजनैतिक पार्टी बनने का धंधा अच्‍छा है।

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  38. पंगेबाज और महाश्क्ती हाफ़ पेंट वाली टीम मे है ? ये तो हमे पता नही है जी , पर क्या आप जिस टीम की वजह से महान नेहरू को सिफ़लिस नाम की सेक्स जन्य घृणित बिमारी लगी और मृत्यू हुई . आप शायद उस टीम मे जरूर है
    वैसे आप खुद को भी इस महानता से धन्य पाते रहते होंगे कि दुनिया मे अकेले हमारा ही प्रधान मंत्री इस महान बिमारी से मरा :)

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  39. चरित्र ह्त्या किस विचारधारा के लोगों की आदत रही है यह किसी से नही छुपा है
    आप अपने मन से पूर्व धारणाएं बनाते जाएँ तो हम कुछ नही कह सकते
    अब यहाँ पर ही जबरदस्ती के आरोप लगाये जा रहे हैं बिना विचार जाने
    दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने मन से आप किसी को कुछ भी कह सकते हैं. कुछ संघी नेहरू के बारे में कुछ भी कहते रहते हैं तो कुछ संघी अपने ही नेताओं के बारे में ऐसी सोच जाहिर करते हैं.
    न पता हो तो पढिये किनारे कर दिए गए पुराने अहम् संघी नेता बलराज मधोक द्वारा दीनदयाल उपाध्याय की हत्या और अटल बिहारी वाजपेयी के सम्बन्ध में कही बातें. हम इन बातों को बचपन से सुनते आ रहे हैं और जानते हैं कि एक ख़ास विचारधारा के अंधभक्तों द्वारा कही जाने वाली बातें किस रूप में लेनी चाहिए
    यह सच है कि कुछ दिनों में मालेगाँव कि सच्चाई सामने आ ही जायेगी और सच जो भी हो हम जैसे लोग जो निष्पक्ष होकर देखना चाहते हैं उसे स्वीकार करेंगे
    खुदा खैर करे अगर आपकी सोच के विपरीत सत्य हुआ तो आप क्या करेंगे ?
    इसलिए किसी के दोषमुक्त या दोषी होने पर चुप ही रहिये तो बेहतर होगा.
    अगर आप वकीलों के दावपेचो के चलते छूटे किसी को दोषी मानते हैं तो औरों के सावरकर और संघ के दोषी मानने को ग़लत कैसे कह सकते हैं?
    हम तो कोर्ट के फैसले मानते हैं चाहे गिलानी हों या सावरकर
    खैर संघ के द्बारा गोडसे की पूजा का क्या मतलब है यह समझा सकें तो समझायियेगा
    अगर आप अपनी नासमझी के आधार पर हमें अफ्ज़लों का समर्थक मानते हैं तो हमें आप पर सचमुच तरस आता है कि इतना विचारशून्य कैसे कोई हो सकता है
    गोवा के मंत्री पुत्र का मामला अभी जिन्दा है कभी फुर्सत मिले तो एक जनहित याचिका क्यों नही डाल देते?
    और हाँ आरोपियों के लिए हम नही काम करते हम सिर्फ़ न्याय की बात करते हैं. किसी के लिए बिरयानी बनाना हो या चरणामृत ये आप और आपके हमसाथी और मजहबों के कट्टरपंथियों का काम है.
    आपके लिए दुश्मनों की लिस्ट भले ही लम्बी हो पर हमारे लिए भारतीयता में आस्था न रखने वाले ही अफ़सोस के काबिल है
    हाँ अभिषेक जी आपसे खासतौर पर हम फ़िर कह रहे हैं किसी की गलती गलती होती है चाहे वो जिंदा हो या शहीद हो गया हो पर पहले साबित तो होने दीजिये कि ये गलती ही है हम आपको यकीन दिलाते हैं कि हम ग़लत साबित होने पर इसकी निंदा ही करेंगे पुलिस के बयान सीधे सच या झूठ नही मान लेने चाहिए चाहे वो कोई भी मामला हो
    महाशक्ति भाई चलती धारा में तो सभी हाथ धुल लेते हैं पर नई पार्टी को शुरूआती असफलताएं भी देखनी पड़ती है आपको याद नही क्या कि अटल बिहारी कितने चुनाव हारे हैं और क्या जमानत भी कभी गवाएं हैं?

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  40. हाँ पंगेबाज भाई हमारा नाम रौशन है इसे ऐसे ही रहने दें तो बेहतर होगा

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  41. कोई व्यक्ति भले ही महापापी हो पर यदि देश के लिए मारा गया है तो वह शहीद है, और कोई माई का लाल उससे यह हक़ नहीं छीन सकता.
    रौशन भाई मैं इस मामले में तुम्हारे साथ हूँ.
    पंगेबाज जी से एक बात कहना चाहूंगा कि यदि करकरे को उनकी गलतियों की सज़ा मिलनी चाहिए थी तो सही बात है वह न्यायोचित होता. परन्तु जब वह मरा है देश के लिए तो फ़िर तो वह शहीद हुआ न.
    बड़े से बड़ा पापी मरते हुए भगवान् का नाम लेकर हर पाप से छूट जाता है. अब जब कोई नहीं रहा तो फ़िर मानवता के नाते ही सही हमें खामोशी के साथ उसे अन्तिम विदाई दी जानी चाहिए

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  42. pangebaaj bahas se bhaag khade huye. advani, modi ne karkare ko shradhanjali di hai ab pangebaaj ji kaise munh dikhayen.

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  43. मरी पोस्‍ट को बार बार पंगेबाज जी श्रद्धान्‍जली देने नही आते, अब तो पोस्‍ट से बदबू आ रही है।

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  44. pange baaj jahan jaate hain vahin badbu fail jati hai.

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  45. Raushan bhai,sach kaha aapne shaheed kabhi narakgaami ho hi nahin sakte.
    lomharshak lekh.
    ALOK SINGH "SAHIL"

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  46. Shaheed ka garv pana hi kisi ke liye ek tamga hai.........baki marane walo ki tadad to kafi hai.......

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  49. पिछली दो टिप्पणियां असंयत भाषा के चलते मिटाई जा रही हैं प्रतिक्रिया देने वालों से अनुरोध है कि भाषा संतुलित रखें
    शुक्रिया

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  50. इन टिप्पणियों के लिए सभी लोगों से हम क्षमा चाहते हैं और निवेदन करते है कि टिप्पणी देते समय भाषा का ख्याल रखें

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  51. बहुत बढ़िया रोशन !
    पहली बार आपके ब्लाग पर आया हूँ, आप बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं ! आपकी संयत भाषा और साहस के लिए प्रणाम ! बेहद अफ़सोस है कि अरुण जैसे विद्वान् और सम्मानित ब्लागर भी इस नफरत की धारा में कूद पड़े हैं ! मैं समझ नही पाता कि नफरत करके इस बड़े परिवार को आप लोग कहाँ ले जाना चाहते हो ! आतंकवादी चाहे हिन्दू हों चाहे किसी अन्य कौम के, उन्हें महिमा मंडित नही किया जा सकता यह सिर्फ़ संकीर्ण मानसिकता का परिचायक होगा ! वे सिर्फ़ निर्मम हत्यारे हैं और सिर्फ़ उन्ही से नफरत करनी चाहिए !
    घर में नफरत का अर्थ सिर्फ़ बटवारा होता है , दिल तो पहले ही बांटे बैठे हो कम से कम देश मत बंटने दो तभी आप शिक्षित और सभ्य कहलाओगे !
    आपका लिंक "मेरे गीत " पर दे रहा हूँ !

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  52. Shaheedon ke mazaron per lagenge her baras mele...In ghatiya logon ka kuch nahi ho sakta. Inhi mazak udane walon ke chalte desh ka ye halat hai aaj...sabse pahle inke zuban per tale lagane ki jarrurat hai...bahut utha liya inlogo ne freedom of speech ka fayda.

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