बुधवार, 31 दिसंबर 2008

आप रजत पदक जीतते नही हैं स्वर्ण पदक हारते हैं.

पिछले साल की बात है हम रिमोट लेकर चैनेल बदल रहे थे अचानक एकसमाचार चैनेल पर ओलंपिक में जा रहे भारतीय खिलाड़ियों का साक्षात्कार देखकर रुक गए उस समय भारतीय मुक्केबाजों का साक्षात्कार रहा था औरस्क्रीन पर थे अखिल कुमार। हमें मुक्केबाजी के बारे में बस इतना ही पता थाकि एक बार भारतीय मुक्केबाज डिन्को सिंह ने एशियाड में स्वर्ण पदक जीताथा, सिडनी में एक भारतीय मुक्केबाज पदक की दौड़ तक पहुँचते पहुँचते रहगया था और क्यूबा के मुक्केबाज विश्व में सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं।
"आप रजत पदक जीतते नही हैं स्वर्ण पदक हारते हैं "
अखिल कुमार ने कहा और तभी हमें
पता चल गया कि मुक्केबाजी के बारे में कुछ और जानना होगा क्योंकि भारतीय मुक्केबाज आने वाले समय में विश्व स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने कि क्षमता रखते हैं।
हम खेल भावना से खेल देखने वाले दर्शकों में से नही हैं। कुछ एक खेलों छोड़ कर वही खेल देखना पसंद करते हैंजहाँ भारतीय खिलाडी अच्छा प्रदर्शन कर रहे होते हैं। कई सालों तक हमें लिएंडर पेस बहुत पसंद रहे थे क्योंकि हमेंउनमें कमाल का जुझारूपन आता है डेविस कप में लिएंडर और गोरान इवानसेविच के बीच दिल्ली में हुआ वोमैच भुलाए नही भूलता जब 0-2 से
पिछडे लिएंडर ने कमाल की वापसी की और घरेलु दर्शकों की हूटिंग को अपनेलिए प्रेरणा का श्रोत बनाते हुए गोरान को हरा दिया। लिएंडर में वो जुझारू पन था जो मैच देख रहे दर्शक को उत्साहसे भर देता था।
जब पिछले साल हमने अखिल की बात सुनी तो हमें वो
भारतीय खेलों के नए जुझारू चेहरे के रूपमें नजर आए।ओलंपिक के दौरान भारतीय मुक्केबाज सिर्फ़ एक कांस्य ही जीत सके और अखिल तो सेमी फाइनल भी नही पहुंचेपर अखिल का खेल शानदार रहा और भारतीय मुक्केबाजों ने आने वाले समय के लिए उम्मीद जगाई।
ओलम्पिक्स में दू
सरा शानदार प्रदर्शन हमें साइना नेहवाल का लगा जिसने पदक तो नही जीता पर उम्मीदें जरूरजगा दीं। इसमें कोई शक नही कि अगर वो खेल पर ध्यान देती रहीं तो वो विश्वमें सर्वश्रेष्ठ बनने की कूव्वत रखती हैं।
हमेशा की तरह साल भर क्रिकेट को मिलने वाली वरीयता की चर्चा रही और कईअन्य खेलों के खिलाड़ियों ने इस पर बोला भी। हमें लगता है कि अगर भारतीयक्रिकेट बोर्ड अपने खेल की बेहतर मार्केटिंग के जरिये ज्यादा
पैसा कमा रहा हैतो इससे दूसरे खेल संघों को जलने की जगह सीख लेनी चाहिए। आज भारतीयक्रिकेट संघ विश्व क्रिकेट में सबसे संघ माना जाता है इस मायने में हमेंभारतीय क्रिकेट संघ का अनुसरण करना चाहिए कि कैसे उसने भारतीय बाजारकी ताकत को भुनाया है।क्रिकेट से ज्यादा लोकप्रियता फुटबोंल, होंकी , टेनिस जैसे खेल कमा सकते हैं और पैसाभी। पर जब तक इन खेलों के खिलाडी विश्वस्तर पर श्रेष्ठतम खिलाड़ियों में शामिल नही होते तब तक लोगों कीरूचि जागना सम्भव नही है। आज गिनती के खिलाडी हैं अन्य खेलों में जो विश्वस्तर पर श्रेष्ठतम में शामिल होते हैं, और आनंद जैसे जो हैं उन्हें क्रिकेटर्स सा सम्मान भी मिलता है आनंद की लोकप्रियता उतनी नही है शायद परइसका कारण दर्शकों का जुडाव शतरंज में हो पाना है।
क्रिकेट देश के खेल प्रेमियों को जीत का उत्साह देता है। जहाँ अन्य कई खेलों में हम कहीं नजर नही आते वहाँक्रिकेट में हम सबसे ऊपर के देशों में नजर आते हैं। इसलिए लोगों में क्रिकेट का क्रेज स्वाभाविक है।
उम्मीद करते हैं की आने वाले समय में भारतीय खिलाड़ी जीतों में निरंतरता के साथ क्रिकेट को लोकप्रियता मेंरचनात्मक टक्कर देंगे और अन्य खेल संघ भारतीय क्रिकेट बोर्ड की तरह प्रभावशाली भुमिका अदा करने कीकोशिश करेंगे

5 टिप्‍पणियां:

  1. बड़ा अच्छा वाक्य है "आप रजत पदक जीतते नही हैं स्वर्ण पदक हारते हैं। "
    पैराडाइम ही बदल जाता है यह देखने में।

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  2. this is the way to look at it ... this is called attitude ... the more you aim at the more you will get ... if u r happy getting simple things, u can never aim high ...... very nice article

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hamarivani

www.hamarivani.com